सार्वजनिक प्राधिकारी को प्राप्त शक्तियों का उपयोग सिर्फ सार्वजनिक भलाई के लिए है :न्यायालय
By भाषा | Updated: October 28, 2021 16:00 IST2021-10-28T16:00:58+5:302021-10-28T16:00:58+5:30

सार्वजनिक प्राधिकारी को प्राप्त शक्तियों का उपयोग सिर्फ सार्वजनिक भलाई के लिए है :न्यायालय
नयी दिल्ली,28 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि सार्वजनिक प्राधिकारी को प्राप्त शक्तियां सिर्फ सार्वजनिक भलाई के लिए हैं और यह राज्य को कर्तव्यबद्ध करता है कि वह बगैर पक्षपात के काम करे तथा लाइसेंस आवंटित करने की निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाए।
शीर्ष अदालत ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के अगस्त 2015 के फैसले के खिलाफ अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।
न्यायालय ने कहा कि गुड़गांव-मानेसर शहरी परिसर की विकास योजना के अंतिम प्रारूप के तहत एक ग्रुप हाउसिंग कॉलोनी के विकास के लिए हरियाणा में प्राधिकारियों द्वारा ‘पहले आओ पहले पाओ’ सिद्धांत के आधार पर अपनाई गई नीति को निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता।
न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने कुछ वादियों की अपील पर यह फैसला सुनाया। इनमें वे भी शामिल हैं जिन्हें मिले लाइसेंस उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिये थे।
न्यायालय ने 27 पृष्ठों के फैसले में कहा कि ‘पहले आओ पहले पाओ’ की राज्य की नीति में एक मूलभूत त्रुटि है क्योंकि इसमें संयोग का तत्व शामिल है।
पीठ ने कहा कि साथ ही, इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता कि जिस किसी व्यक्ति की सत्ता के गलियारों में पहुंच है उसे सरकारी रिकार्ड से सूचना प्राप्त हो सकती है।
न्यायालय ने कहा कि यह सुनिश्चित करना राज्य का कर्तव्य है कि गैर भेदभाव वाली एक पद्धति अपनाई जाए, चाहे वह सरकारी भूमि पर लाइसेंस के आवंटन की हो या फिर संपत्ति का हस्तांतरण करने की।
पीठ ने कहा कि यह जरूरी है कि राज्य का हर कार्य सार्वजनिक हित में होना चाहिए।
न्यायालय ने कहा, ‘‘सार्वजनिक प्राधिकारी को प्राप्त शक्तियों का उपयोग सार्वजनिक भलाई के लिए हो। यह राज्य को कर्तव्यबद्ध करता है कि वह बगैर पक्षपात के काम करे तथा लाइसेंस आवंटित करने की निष्पक्ष प्रक्रिया अपनाए।
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