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यूक्रेन संकट: रूस के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया को बाइडन ने बताया अस्थिर, कहा- उसके सहयोगियों में भारत एक अपवाद

By विशाल कुमार | Updated: March 22, 2022 08:59 IST

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा कि भारत के संभावित अपवाद के साथ क्वाड कुछ हद तक अस्थिर है, लेकिन पुतिन की आक्रामकता से निपटने के मामले में जापान बेहद मजबूत रहा है और उसके साथ ऑस्ट्रेलिया भी।

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ठळक मुद्देबाइडन ने पुतिन के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए अमेरिकी नेतृत्व वाले सहयोगी देशों की प्रशंसा की।भारत ने रूसी तेल खरीदना जारी रखा है।भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा करने वाले वोटों में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

वाशिंगटन: यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर भारत की प्रतिक्रिया को अस्थिर बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी सहयोगियों में भारत एक अपवाद है।

हालांकि, इस बीच बाइडन ने व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ एकजुटता दिखाने के लिए नाटो, यूरोपीय संघ और प्रमुख एशियाई सहयोगियों सहित अमेरिकी नेतृत्व वाले सहयोगी देशों की प्रशंसा की। इसमें रूस की मुद्रा, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और उच्च तकनीक वाले सामानों तक पहुंच रोकने के उद्देश्य से लगाए गए अभूतपूर्व प्रतिबंध शामिल हैं।

हालांकि, क्वाड समूह के साथी सदस्यों ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के विपरीत भारत ने रूसी तेल खरीदना जारी रखा है और संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा करने वाले वोटों में शामिल होने से इनकार कर दिया है।

वाशिंगटन में अमेरिकी व्यापार जगत के नेताओं की एक बैठक को संबोधित करते हुए बाइडन ने कहा कि पूरे नाटो और प्रशांत क्षेत्र में एक संयुक्त मोर्चा है।

उन्होंने कहा कि भारत के संभावित अपवाद के साथ क्वाड कुछ हद तक अस्थिर है, लेकिन पुतिन की आक्रामकता से निपटने के मामले में जापान बेहद मजबूत रहा है और उसके साथ ऑस्ट्रेलिया भी।

बाइडन ने कहा कि पुतिन नाटो को विभाजित करने के बारे में सोच रहे थे और इसके बजाय नाटो अपने पूरे इतिहास में आज की तुलना में कभी भी मजबूत, अधिक एकजुट नहीं हुआ।

उल्लेखनीय है कि व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी ने मंगलवार को कहा था कि भारत द्वारा रियायती दर पर रूसी तेल खरीदने की पेशकश को स्वीकार करना अमेरिका द्वारा मॉस्को पर लगाए गए प्रतिबंधों का उल्लंघन नहीं है, लेकिन रेखांकित किया कि इन देशों को यह भी समझना चाहिए कि जब इस समय के बारे में इतिहास की किताबें लिखी जाएंगी तो ‘वे कहां खड़ा होना चाहते हैं।’’

इसके जवाब में भारत ने कहा कि भारत के वैध तरीके से ऊर्जा खरीदने का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए और जो देश तेल के मामले में आत्मनिर्भर हैं या जो स्वयं रूस से तेल आयात करते हैं वे प्रतिबंधात्मक व्यापार की वकालत नहीं कर सकते हैं।

रूस से ऐतिहासिक संबंध रखने वाले भारत ने हिंसा खत्म करने की अपील तो की है लेकिन वह संयुक्त राष्ट्र में तीन मतदान से अनुपस्थित था जिसमें रूस की कार्रवाई की निंदा करने और उसे रोकने की मांग की गई थी।

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