लखनऊ: समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए यूपी की डगर काफी कठिन हो गई है। यूपी की सियासी सरजमीं पर भारतीय जनता पार्टी से पटखनी खा चुके सपा सुप्रीमो को सरेराह एक सांड़ ने रोक दिया। वैसे अखिलेश यादव को साड़ द्वारा रोके जाने का वाकया दूसरी बार हुआ है।
जी हां, सीतापुर में अखिलेश यादव का सामना सांड़ से दोबारा हो गया। दरअसल अखिलेश यादव सीतापुर में सपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री नरेंद्र वर्मा के बड़े भाई स्वर्गीय महेंद्र वर्मा को श्रद्धांजलि देने जा रहे थे। साड़ का वीडियो अपने ट्विटर हैंडल से शेयर कते हुए अखिलेश यादव ने भाजपा पर व्यंग्य किया है।
अखिलेश यादव ने अपने ट्वीट में लिखा, "सफर में सांड़ तो मिलेंगे, जो चल सको तो चलो… बड़ा कठिन है यूपी में सफर जो चल सको तो चलो"
दरअसल अखिलेश यादव की गाड़ियों का काफिला जैसे ही सीतापुर के महमूदाबाद बस स्टॉप से आगे बढ़ा उनकी फॉर्च्यूनर गाड़ी के सामने चहलकदमी करते हुए एक सांड़ आ गया। इस दौरान रास्ते में खड़े किसी सपा कार्यकर्ता ने अपने मोबाइल में यह दृश्य कैद कर लिया।
यूपी विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद बुधवार को सीतापुर पहुंचे अखिलेश यादव ने राज्य की भाजपा सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई और जमकर निशाना साधा।
सीतापुर के पड़ोसी जिले लखीमपुर खीरी और फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' का जिक्र करते हुए अखिलेश यादव ने स्वर्गीय महेंद्र वर्मा की श्रद्धांजलि सभा में कहा, 'यहां के पड़ोसी जिले में गरीब किसानों को जीप से कुचल दिया गया था। उस हिंसा पर भी फिल्म बननी चाहिए। अगर कश्मीर फाइल्स बन सकती है तो फिर लखीमपुर फाइल्स भी बनना चाहिए।
महंगाई और बेरोजगारी का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने कहा भाजपा ने सरकार तो बना ली, लेकिन उन्हें पहले बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दों पर दनता को जवाब देना चाहिए। आज यूपी का हर आदमी त्रस्त है, केवल सरकार बनाने से नहीं होगा। विकास पर जवाब देना होगा इस सरकार को।
मालूम हो कि पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा और उसके सहयोगियों ने यूपी में सबसे बेहतर प्रदर्शन करते हुए राज्य की 403 सीटों में से कुल 273 सीटें जीतीं। वहीं अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली सपा ने अपने दम पर 111 सीटें जीतीं और उसके नेतृत्व वाले गठबंधन ने 125 सीटों पर कब्जा जमाया था।