UP Stork Bird: खुशखबरी, रंग लाई योगी सरकार की मेहनत, जून में गणना और 19919 सारस, सबसे आगे इटावा, देखें जिलेवार आंकड़े
By राजेंद्र कुमार | Updated: July 10, 2024 18:05 IST2024-07-10T18:04:29+5:302024-07-10T18:05:40+5:30
UP Stork Bird: वर्ष 2009 में सारसों की घटकर संकटग्रस्त पक्षियों की श्रेणी में कगार पर पहुंच कर करीब 10, 000 रह गई थी.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश में साल दर साल राज्य पक्षी सारस का कुनबा बढ़ता जा रहा है. वन विभाग द्वारा बीते माह राज्य में कराई गई गणना में कुल 19,918 सारस पाए गए हैं. यह पिछले वर्ष की तुलना में 396 अधिक हैं, बीते वर्ष जून में कई गणना के दौरान 19,522 सारस पाए गए थे. सूबे में सबसे अधिक 3,289 सारस इटावा वन प्रभाग में पाए गए हैं. जबकि राज्य अन्य 10 वन प्रभागों में यह संख्या 500 से अधिक रही है. मऊ वन प्रभाग में 10 वर्ष में पहली बार छह सारस पक्षी मिले हैं. इस बार 10 हजार नागरिक भी वनाधिकारियों के साथ सारस की गणना करने में शामिल हुए थे.
ऐसे बढ़ी सारस की संख्या
सारस उत्तर प्रदेश का राज्य पक्षी है. बीते पंद्रह वर्षों से इस पक्षी को राज्य में बचाने का अभियान वन विभाग लोगों के सहयोग से चला रहा है. वर्ष 2009 में सारसों की घटकर संकटग्रस्त पक्षियों की श्रेणी में कगार पर पहुंच कर करीब 10, 000 रह गई थी. तब सूबे की सरकार ने इस बचाने के लिए वेटलैंड (दलदली क्षेत्र) संरक्षण पर ध्यान देना शुरू किया.
सारस किसी भी वन क्षेत्र के आसपास दलदली क्षेत्र (वेटलैंड) में रहते हैं. इनका मुख्य भोजन पानी में मिलने वाली घास, छोटी मछली व घोंघा है. इनकी ऊंचाई 200 से 250 सेमी और वजन औसतन 6 से 7 किलोग्राम होता है. सारस का शिकार करने पर शिकार करने वाले व्यक्ति का अहित होने जैसी कई मान्यताएं हैं.
इसके बाद भी सारस की संख्या कम हुई तो कराए गए शोध से पता चला वेटलैंड की भूमि का अन्य कार्यों में उपयोग होने का कारण इनकी संख्या घटी है. इस शोध के बाद राज्य में नेशनल वेटलैंड कंजर्वेशन प्रोग्राम के तहत संरक्षित व गैरसंरक्षित वेटलैंड की सुरक्षा तथा सारस के प्राकृत वास आदि का संरक्षण शुरू हुआ. जिसका परिणाम है कि यूपी में अब हर साल सारस की संख्या में इजाफ़ा हो रहा है.
वेटलैण्ड बचाकर सारस बढ़ाए
वन विभाग के ताजा गणना के अनुसार, राज्य में इस वर्ष सरसों की संख्या बढ़ कर 19,918 हो गई. पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष 396 सारस यूपी में बढ़ गए. वर्ष 2021 से वर्ष 2024 के बीच प्रदेश में 2589 सारस बढ़े हैं. राज्य के प्रमुख वन संरक्षक और विभागाध्यक्ष सुधीर कुमार शर्मा के मुताबिक राज्य में प्रतिवर्ष दो बार सारस की गणना की जाती है.
अब हर गणना में सारस की संख्या में इजाफा हो रहा क्योंकि प्रदेश सरकार तथा विभाग सारस के संरक्षण पर विशेष ध्यान देते हुए वेटलैण्ड आदि को बचाने में ज़ोर दे रहा है. वह कहते हैं, वेटलैण्ड बचाकर सारस बढ़ाए हैं. सारस की गणना के आंकड़े इसका सबूत हैं. इस वर्ष हुई गणना में इटावा वन प्रभाग में सर्वाधिक 3289, मैनपुरी में 2945, शाहजहांपुर में 1212, औरैया में 1202, कन्नौज में 786, हरदोई में 735, संतकबीरनगर में 717, कानपुर देहात में 709, गोरखपुर में 675 और सिद्धार्थनगर में 673 सारस पाए गए.
जबकि राज्य के 10 प्रभागों में सरसों इनकी संख्या 500 से ऊपर रही. राज्य के 27 वन प्रभागों में सारस की संख्या 100 से 500 तक रही. जबकि 31 वन प्रभागों में 100 से कम सारस मिले. मऊ जिले में 10 वर्ष में पहली बार दिखे छह सारस दिखे.
हापुड़ व पलिया-खीरी में गणना के दौरान दो-दो सारस मिले. जबकि कभी पालिया और खीरी में 1000 से ज्यादा सारस थे, लेकिन धान की बड़े पैमाने पर की जारी खेती के कारण वेटलैण्ड नष्ट हो गए और सारस भी इस इलाके को छोड़कर अन्य स्थानों पर चले गए.