यूपी के इस गांव में 12 सालों से बकरीद से पहले पुलिस बकरों को कर लेती है जब्त

By खबरीलाल जनार्दन | Updated: August 11, 2018 15:02 IST2018-08-11T14:20:15+5:302018-08-11T15:02:06+5:30

बकरीद करीब आते ही पुलिस गांव के सभी घरों से बकरे जब्त कर एक सुरक्षित जगह ले जाती है। बकरीद के तीन बाद बकरे वापस किए जाते हैं।

UP: Sant Kabir Nagar's Musahara village no animal sacrifice on bakra eid | यूपी के इस गांव में 12 सालों से बकरीद से पहले पुलिस बकरों को कर लेती है जब्त

उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के मुसहारा गांव में 12 सालों से बकरीद से पहले पुलिस बकरों को कर लेती है जब्त

संत कबीर नगर, 11 अगस्तः देशभर में मुसलमान आगामी 22 अगस्त को बकरीद मनाने के लिए तैयारी कर चुके हैं। लेकिन उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले के मुसहारा गांव में अलग ही ढंग से बकरीद मनाने की तैयारी में जुट हैं। दरअसल, इस गांव में किसी भी खास मौके पर जानवरों की बलिदानी पर साल 2007 से बैन लगा हुआ है। यूपी पुलिस इस बात का पूरा खयाल रखती है ‌बकरीद या ऐसे मौके पर इस गांव में किसी जानवर की बलिदानी ना दी जाए। खासतौर पर बकरीद पर कोई बकरा हलाल ना हो और यह जश्न अमन में बीत जाए।

इसके लिए हर साल इस गांव को बकरीद और होली के मौके पर छावनी में तब्दील कर दिया जाता है। अमर उजाला में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक साल 2012 में यहां डेढ़ प्लाटून पीएसी, 45 आरक्षी और चार एसआई तैनात किए गए थे। एसडीएम मेंहदावल विनय कुमार श्रीवास्तव, सीओ अनिल कुमार और तहसीलदार गांव में लगातार कैंप कर रहे थे। जबकि गांव में मौजूद 18 बकरों को प्रशासन ने गांव में ही एक स्थान पर सुरक्षित रखवा दिया था। यही नहीं उन बकरों की देख रेख के लिए डॉक्टर भी तैनात कर दिए गए थे। पर ऐसा होता क्यों है?

यूपी के मुसहरा गांव का इतिहास

करीब एक दशक पहले गांव में दो समुदायों के बीच भारी विवाद हो गया था। तब होली के मौके पर एक समुदाय के लोगों ने क‌ब्र‌िस्तान के पास होलिका दहन कर दिया था। इसके बाद प्रशासन ने दोनों समुदायों में एक समझौता कराया। इसके में तय हुआ कि गांव में अब के बाद से किसी त्योहार को मनाने के लिए किसी जानवार की बलिदानी नहीं दी जाएगी। ऐसे में करीब एक दशक से ऐसा हो रहा है जब हिन्दू होली के त्योहार के वक्त होलिका दहन नहीं कर पाते और मुसलमान बकरीद पर कुर्बानी नहीं दे पाते। इंडियन एक्सप्रेस ने यह बात धरम सिंहवा पुलिस स्टेशन के शिव बरन यादव के हवाले प्रकाशित की है।

इतना ही नहीं यादव बताते हैं, साल 2007 के बाद ही हम हर साल बकरीद करीब आने पर गांव की सभी बकरी-बकरों को गांव वालों से लेकर एक प्रशासन की देखरेख में रख देते हैं। उनके लिए एक डॉक्टर की नियुक्ति भी की जाती है। जब उनका त्योहार खत्म हो जाते हैं तो हम उन्हें बकरियां वापस कर देते हैं। ठीक इसी तरह हम लोगों को होलिका दहन भी नहीं करने देते।

वहीं के एसएचओ ने बताया कि बकरीद के तीन दिन बाद मुसलमान परिवारों को उनके बकरी वापस कर दी जाती है। ऐसे में दोनों समुदायों के लोग मिलजुकर इस त्योहार को मनाते हैं। क्षेत्र के एसपी शैलेश कुमार पांडेय का कहना है करीब एक दशक से दोनों समुदाय बकरीद इसी तरह साथ में मनाते आए हैं। अभी तक किसी तरह की कोई शिकायत नहीं मिली है।

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English summary :
No animal sacrifice on Bakrid or Eid al-Adha in Uttar Pradesh Sant Kabir Nagar's village Musahara dut to ban from last 12 years. UP police takes full care that no animal should be sacrificed in this village. There should be no goat sacrifice or halal on Bakra Eid, and Eid al-Adha festival will be celebrated with peace.


Web Title: UP: Sant Kabir Nagar's Musahara village no animal sacrifice on bakra eid

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