कभी लखनऊ का विवेक तो कभी नोएडा का जितेंद्र, ये आंकड़े खड़ा करते हैं यूपी पुलिस के कथित मुठभेड़ों पर बड़ा सवाल
By पल्लवी कुमारी | Published: October 4, 2018 07:34 AM2018-10-04T07:34:04+5:302018-10-04T07:34:04+5:30
उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है पुलिस का ऑल ऑउट ऑपरेशन लगातार जारी है। योगी आदित्यनाथ ने दावा किया था कि बीजेपी की सरकार बनने के बाद राज्य में कानून व्यवस्था में काफी सुधार आया है।
नई दिल्ली, 4 अक्टूबर: उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार आई है पुलिस का ऑल ऑउट ऑपरेशन लगातार जारी है। आए दिन यूपी पुलिस कोई-न-कोई एनकाउंटर कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 4 मार्च, 2018 को ये दावा किया था कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के बाद राज्य में कानून व्यवस्था में काफी सुधार आया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि उनके मुख्यमंत्री पदभार संभालने के बाद राज्य में एक भी सांप्रदायिक हिंसा की एक भी घटना नहीं हुई है। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या सच में यूपी पुलिस कानून व्यवस्था के नाम पर फर्जी एनकाउंटर कर रही है।
16 जनवरी, 2018 को योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया था, जिसमें कहा गया था कि यूपी पुलिस ने कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करने के लिए 160 लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) का आह्वान किया था। सीएम योगी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह भी बताया कि दस महीनों में यूपी पुलिस ने 1200 एनकाउंटर किए। लेकिन क्या है 1200 एनकाउंटर सारे सच थे...
क्या कहते हैं केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़े
सबसे पहले उस दावे का सच जिसमें, सीएम योगी ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सरकार बनने के बाद राज्य में कानून व्यवस्था में काफी सुधार आया है। सीएम योगी के इस दावे के महज दस दिन बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संसद में एक रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि सांप्रदायिक हिंसा और संबंधित मौत की घटनाओं की संख्या के मामले में उत्तर प्रदेश देश के बाकी राज्यों की सूची में सबसे उपर है।
केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक हिंसा में 2017 में यूपी में 44 लोग मारे गए और 540 घायल हुए थे। 2016 में 29 लोगों की मौते हुईं और 490 लोग घायल हुए। वहीं, 2015 में 22 लोगों की मौत हुई और 410 घायल हुए।
क्या कहते हैं मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट
फर्जी मुठभेड़ के मामले में 2017 में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने एक रिपोर्ट जारी की थी। जिसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि फेक एनकाउंटर के मामले यूपी सबसे आगे है। आयोग ने इस रिपोर्ट में 2000 से लेकर 2017 तक का आंकड़ा जारी किया है। पूरे देश में फर्जी मुठभेड़ों के 1,782 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से केवल 1,565 मामलों का निपटारा किया गया है। इन सभी में से 44.55 प्रतिशत मामले में सिर्फ यूपी से थे। यानी 1,782 मामलों में से 794 मामले यूपी के ही थे।
वहीं, मानवाधिकार आयोग पिछले 12 सालों का भी रिपोर्ट जारी किया था। जिसमें देशभर से फर्जी एनकाउंटर की कुल 1241 शिकायतें आयोग के पास पहुंची थीं। जिसमें 455 मामले यूपी पुलिस के खिलाफ थे।
क्या कहते हैं यूपी पुलिस के आंकड़े
योगी आदित्यनाथ सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, फरवरी 2018 में आधिकारिक आंकड़ा आया था। जिसमें कहा गया था कि योगी सरकार के सत्ता में आने के दस महीने के अंदर राज्य में करीब 1100 पुलिस एनकाउंटर हुए। जिसमें से 34 अपराधी मारे गए थे। इसके साथ ही 265 लोग घायल हुए थे। तकरीबन 2700 हिस्ट्री शीटरों को गिरफ्तार किया गया था।
संगठन 'सिटीजंस अगेंस्ट हेट' की रिपोर्ट
मानवाधिकारों के लिए काम करने वाली एक संगठन 'सिटीजंस अगेंस्ट हेट' (Citizens Against Hate (CAH) ने एक रिपोर्ट जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि यूपी पुलिस द्वारा किए गए 16 एनकाउंटरों में गड़बड़ियां पाई गईं थी।
रिपोर्ट में कहा गया था कि मुठभेड़ से जुड़े कई ऐसे सबूत मिले हैं जो शक पैदा करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो 16 एनकाउंटरों में गड़बड़ियां पाई गईं थी, हर की कहानी पुलिस ने एख जैसी बताई थी। साथ ही जो भी सबूत मिले वो भी एक जैसे ही थे। जैसे कि जो भी एनकाउंटर हुए, उन सब का तरीका एक ही जैसा था। इसके अलावा संगठन ने ये भी दावा किया था कि पुलिस ने जिन अपराधियों को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था, उनके शरीर पर कई तरह के जख्म के निशान मिले थे।
पिछले आठ महीनों में यूपी में 50 मुठभेड़ हत्याओं का जिक्र करते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, "लगभग सभी इन मुठभेड़ नकली हैं। वे मुठभेड़ नहीं हैं - वे पुलिस द्वारा की गई हत्याए हैं। ये मुठभेड़ आयोजित किए जा रहे हैं। उनमें से कुछ को आपराधिक इतिहास हो सकता है लेकिन ऐसे कई लोग हैं जिनके खिलाफ अंतिम मिनट में मामलों एक्शन लिया गया है।
ये हैं कुछ फर्जी एनकाउंटर के मामले
विवेक तिवारी मर्डर केस
- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोमती नगर क्षेत्र में चेकिंग के दौरान कथित तौर पर वाहन नहीं रोकने पर एक पुलिस कांस्टेबल प्रशांत चौधरी द्वारा चलायी गयी गोली लगने से एक व्यक्ति विवेक तिवारी की मौत की घटना काफी लाइमलाइट में है। विवेक आईफोन लॉन्चिंग के बाद अपनी महिला सहकर्मी के साथ लौट रहे थे। रास्ते में पुलिस ने उन्हें गाड़ी रोकने का इशारा किया तो विवेक ने दरकिनार कर दिया। कॉन्स्टेबल प्रशांत चौधरी ने शक में गोली चला दी जिससे विवेक की मौत हो गई। एसपी ने बताया कि सना खान की शिकायत पर कॉन्स्टेबल के खिलाफ गोमतीनगर थाने में आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज किया गया है। आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है और पूछताछ जारी है।
सना खान की शिकायत के मुताबिक शुक्रवार रात वह अपने सहकर्मी विवेक तिवारी के साथ घर जा रही थी। गोमतीनगर विस्तार के पास गाड़ी खड़ी थी तभी दो पुलिस वाले आए। विवेक ने दरकिनार करते हुए बचकर निकलने की कोशिश की। सना ने आरोप लगाया कि इस दौरान कॉन्स्टेबल ने बाइक दौड़ाकर विवेक पर गोली चला दी। गाड़ी की विंडशील्ड तोड़ते हुए गोली विवेक के गले में जा धंसी।
इसके बाद विवेक की कार अंडरपास के पिलर से जा टकराई। इससे भी गहरी चोटें आई हैं। आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया गया जहां उनकी मौत हो गई। शव को पोस्टमार्टन के लिए भेज दिया गया है। इस हाई प्रोफाइल केस पर पुलिस के आला-अधिकारियों की नजर बनी हुई है।
- अलीगढ़ फर्जी मुठभेड़
अलीगढ़ के हरदुआगंज थानाक्षेत्र के मछुआ गांव के पास 21 सितंबर को पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मुस्तकीम तथा नौशाद नामक इनामी बदमाश मारे गये थे। इनपर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। मुठभेड़ का एक कथित वीडियो भी कुछ समाचार चैनलों पर प्रसारित किया गया था। हालांकि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी ने किसी भी मीडियाकर्मी को बुलाने की बात से इनकार किया है।
https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw">#WATCH: Encounter between police and criminals in Harduaganj's Mahua village in Aligarh district. Two criminals were killed in the encounter. (20.09.2018) https://t.co/oahPijuZMG">pic.twitter.com/oahPijuZMG
— ANI UP (@ANINewsUP) https://twitter.com/ANINewsUP/status/1042959562041688066?ref_src=twsrc%…">September 21, 2018
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार साहनी ने यहां संवाददाताओं को बताया कि हरदुआगंज थाना क्षेत्र के मछुआ गांव के पास पुलिस ने मुस्तकीम तथा नौशाद नामक इनामी बदमाशों को रोकने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस पर गोलियां चलाईं। जवाबी कार्रवाई में दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने दोनों को मृत घोषित कर दिया।
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में कथित मुठभेड़ में दो इनामी बदमाशों को मार गिराने के दावे पर सवाल उठाते हुए शुक्रवार को कहा कि पुलिस कार्रवाई का जिस तरह मीडिया द्वारा फिल्मांकन किया गया, वह लोकतांत्रिक और सभ्य समाज को शोभा नहीं देता।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस की तरफ से यहां जारी एक बयान में आरोप लगाया गया है कि अलीगढ़ में पुलिस कप्तान की मौजूदगी में मीडियाकर्मियों को बुलाकर जिस तरह दो लोगों से मुठभेड़ की पटकथा लिखी गयी उससे साबित होता है कि यह पुलिस और सरकार का पूर्व नियोजित और निश्चित आयोजन था।
- नोएडा जितेंद्र यादव फेक एनकाउंटर
फरवरी 2018 में यूपी पुलिस ने फेक एनकाउंटर के नाम पर नोएडा के परथला गांव के रहने वाले बॉडी बिल्डर जितेंद्र यादव पर गोली चलाई थी। इसे एनकाउंटर का नाम दिया गया था, जो बाद में फर्जी निकला। 26 साल के यादव की जान तो बच गई लेकिन उनके शरीर के पेट से नीचे का हिस्सा पूरी तरह बेकार हो चुका है। वह पिछले आठ महीनों से अस्पताल में एडमिट है।
चार फरवरी की रात को जितेंद्र एक शादी से अपने घर लौट रहे थे कि सब-इंस्पेक्टर विजय दर्शन शर्मा ने उन पर कथित तौर पर प्रमोशन और वाहवाही के लिए गोली चलाकर इसे एनकाउंटर का नाम दे दिया। बाद में शर्मा की गिरफ्तारी हुई।
- बाराबंकी फेक एनकाउंटर
फरवरी में ही बाराबंकी में पुलिस और अपराधियों के बीच मुठभेड़ की खबर काफी चर्चा में रहीं। पुलिस और अपराधियों की इस मुठभेड़ को फर्जी ठहराने का काम तथाकथित मुठभेड़ में घायल अपराधी ने किया था। पुलिस जहां इसे मुठभेड़ दिखाकर अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं इस अपराधी ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि वह अपने तीन साथियों के साथ तीन दिन पहले ही गिरफ्तार हो चुका था। लेकिन फिर एनकाउंटर किया गया था।
बाराबंकी के मोहम्मदपुर खाला थाना इलाके में पुलिस और अपराधियों में मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में जहां दो अपराधी घायल हुए हैं, वहीं एक एसआई समेत तीन पुलिस कर्मी भी घायल हुए थे। पुलिस ने इनके कब्जे से 1 लाख 71 हजार रुपये, 4 तमंचे, 4 मोबाइल फोन और एक कार बरामद किए थे।