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यूपी विधान परिषदः बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग, योगी ने साधा सामाजिक समीकरण, जानिए कौन हैं ये लोग

By राजेंद्र कुमार | Published: April 04, 2023 5:21 PM

UP Legislative Council: विधान परिषद में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों की संख्या बढ़ कर अब 80 हो गई है. यानी अब 100 सदस्यीय परिषद में योगी सरकार की ताकत में इजाफा हो गया है.

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ठळक मुद्देविधान परिषद के लिए नामित हुए छह एमएलसी के जरिए भाजपा ने कार्यकर्ताओं और अजेंडा दोनों को साधा है.वैश्य और एक ब्राह्मण को शामिल कर पार्टी ने अपने परंपरागत वोटरों का भी भरोसा बनाए रखा है.छह एमएलसी में दो ओबीसी, एक दलित और एक पसमांदा मुसलमान है.

लखनऊः योगी सरकार की ओर से विधान परिषद में छह सदस्यों को मनोनीत करने के प्रस्ताव को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की मंजूरी मिल गई.

जिसके चलते अब अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.तारिक मंसूर, पूर्वांचल विकास बोर्ड के सलाहकार साकेत मिश्र, उप्र अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष डॉ. लालजी प्रसाद, काशी के भाजपा जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा, भाजपा ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष रहे रजनीकांत माहेश्वरी और रामसूरत राजभर विधान परिषद के एमएलसी हो गए हैं.

इसके साथ ही विधान परिषद में भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों की संख्या बढ़ कर अब 80 हो गई है. यानी अब 100 सदस्यीय परिषद में योगी सरकार की ताकत में इजाफा हो गया है. सरकार अब विधान परिषद में विपक्ष के विरोध के बाद भी अपने सभी फैसलों को पारित कर लेगी. विधान परिषद के लिए नामित हुए छह एमएलसी के जरिए भाजपा ने कार्यकर्ताओं और अजेंडा दोनों को साधा है.

यही नहीं छह एमएलसी का छन करने के मामले में पार्टी के पुराने साथियों पर तो भरोसा किया ही है, साथ ही जातीय समीकरण भी परोसा है. इन छह एमएलसी में दो ओबीसी, एक दलित और एक पसमांदा मुसलमान है. एक वैश्य और एक ब्राह्मण को शामिल कर पार्टी ने अपने परंपरागत वोटरों का भी भरोसा बनाए रखा है.

प्रो.तारिक मंसूरः नामित हुए एमएलसी में एक नाम प्रो.तारिक मंसूर का है. चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े प्रो.तारिक मंसूर की पहचान उदारवादी मुस्लिम विद्वान के तौर पर है. वह अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कुलपति हैं. उनके कार्यकाल के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2020 में एएमयू के शताब्दी समारोह को संबोधित किया था.

पसमांदा मुसलमानों के बीच पैठ बनाने में जुटी भाजपा ने प्रो.मंसूर को उच्च सदन में भेजकर विरोधियों के साथ खुद मुस्लिमों को भी चौंकाया है. उनके अकादमिक कद को देखते हुए सरकार उन्हें कोई और जिम्मेदारी भी सौंप सकती है, चर्चा है कि उन्हें किसी आयोग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. आज उन्होने एएमयू के कुलपति पद से इस्तीफा दे दिया है.

साकेत मिश्रः पीएम नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव रह चुके नृपेंद्र मिश्रा के बेटे हैं साकेत मिश्रा. वह प्रशासनिक अधिकारी की पृष्ठभूमि से राजनीति में आए हैं. उन्होंने कई इंटरनेशनल बैंकों में काम किया है. पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हे श्रावस्ती सीट से उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा चली थी, लेकिन पार्टी ने टिकट नहीं दिया.

अब उन्हें विधान परिषद के जरिए योगी सरकार यूपी की राजनीति में फिट कर रही है. साकेत मिश्रा ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से इकॉनोमिक्स में ग्रेजुएशन की पढ़ाई की है.  इसके बाद वे आईआईएम कलकत्ता पहुंचे. आईआईएम से पढ़ाई के बाद उन्होंने यूपीएससी की तरफ रुख किया, वर्ष 1994 के सिविल सर्विसेज परीक्षा में साकेत मिश्रा ने सफलता दर्ज की. वे आईपीएस बने, लेकिन, सिविल सर्विसेज उन्हें रास नहीं आई. अब वह यूपी में राजनीति करेंगे. 

पार्टी के कर्मठ कार्यकर्ता हैं रजनीकांत माहेश्वरीः वहीं वैश्य समाज से ताल्लुक रखने वाले रजनीकांत माहेश्वरी को उच्च सदन भेजकर पार्टी ने अपने पुराने कार्यकर्ता को सम्मान पूर्वक समायोजित किया है. माहेश्वरी ने छह साल भाजपा के ब्रज क्षेत्र के अध्यक्ष की भूमिका निभाई और हाल ही में हुए सांगठनिक फेरबदल में उन्हें इस दायित्व से मुक्त कर दिया गया था.

राजभर समाज को मिली तवज्जोः कहा जा रहा है कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर के सियासी पैंतरों से निपटने के लिए भाजपा ने रामसूरत को यह ओहदा देकर राजभर समुदाय को तवज्जो दी है. रामसूरत राजभर भाजपा की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाले पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. पूर्वांचल की राजनीति के चलते उन्हें एमएलसी बनाया गया है. 

हंसराज विश्वकर्मा को मिला इनामः पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के करीबी रहे हंसराज विश्वकर्मा काशी के भाजपा जिलाध्यक्ष हैं. उन्हें संगठन कार्य में दक्ष माना जाता है. प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र में भाजपा के संगठनात्मक दायित्वों का कुशलतापूर्वक निर्वहन करने का तो उन्हें इनाम मिला ही है, उनके मनोनयन की सिफारिश कर पार्टी ने बढ़ई समाज को भी सकारात्मक संदेश दिया है. हंसराज विश्वकर्मा भाजपा की राजनीति में अहम किरदार निभाने वाले पिछड़ा वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. 

निर्मल भाजपा का दलित चेहराः भाजपा के दलित चेहरे के रूप में पहचान बनाने वाले निर्मल आंबेडकर महासभा ट्रस्ट के अध्यक्ष होने के साथ ही राजधानी में निर्माणाधीन आंबेडकर डॉ.भीमराव आंबेडकर स्मारक एवं संस्कृति केंद्र की प्रबंध समिति के अध्यक्ष भी हैं. योगी सरकार ने उन्हें उप्र अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के अध्यक्ष पद का ओहदा दिया है. 

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