मथुरा-वृंदावन का दस किलोमीटर क्षेत्र तीर्थस्थल घोषित, नहीं होगी अब यहां शराब-मांस की बिक्री
By विनीत कुमार | Updated: September 10, 2021 18:18 IST2021-09-10T18:13:33+5:302021-09-10T18:18:02+5:30
मथुरा और वृंदावन के 10 किलोमीटर के क्षेत्र को तीर्थस्थल घोषित कर दिया गया है। तीर्थस्थल घोषित किए गए इलाके में नगर निगम के 22 वार्ड हैं।

मथुरा-वृंदावन का दस किलोमीटर क्षेत्र तीर्थस्थल घोषित
मथुरा: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार ने मथुरा और वृंदावन के 10 किलोमीटर के क्षेत्र को तीर्थस्थल घोषित कर दिया है। इस क्षेत्र में अब मांस और शराब की बिक्री पर पूरी तरह रोक रहेगी। तीर्थस्थल घोषित किए गए इलाके में नगर निगम के 22 वार्ड हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान को केंद्र में रखकर 10 किलोमीटर वर्ग मीटर के क्षेत्र को तीर्थस्थल घोषित किया गया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में जन्माष्टमी के मौके पर मथुरा में शराब और मांस की बिक्री पर रोक लगाने की बात कही थी। योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मथुरा के वृन्दावन, गोवर्धन, नन्दगांव, बरसाना, गोकुल, महावन और बलदेव में मांस और शराब की बिक्री बंद होगी।
साथ ही सीएम ने इन कार्यों में लगे लोगों का अन्य व्यवसायों में पुनर्वास करने की भी घोषणा की। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव पर आयोजित कार्यक्रमों में सम्मिलित होने और श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर भगवान के दर्शन करने मथुरा पहुंचे मुख्यमंत्री ने इस मौके पर रामलीला मैदान में आयोजित एक जनसभा को भी संबोधित किया था।
UP Govt declares 10 sqkm area of Mathura-Vrindavan as pilgrimage site, banning sale of liquor and meat in the area
— ANI UP (@ANINewsUP) September 10, 2021
यूपी में योगी सरकार के आते ही अक्टूबर 2017 में कृष्ण की नगरी वृंदावन और राधा की जन्मस्थली बरसाना को तीर्थस्थल घोषित करने की घोषणा हुई थी। वृन्दावन में हर साल डेढ़ करोड़ तो बरसाना में 60 लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं।
'शराब-मांस बेचने वाले दूध बेचें'
योगी आदित्यनाथ ने इस बार जन्माष्टमी के मौके पर कहा था कि अच्छा होगा कि जो शराब या मांस बेचने के काम में लगे हैं, उनके लिए दुग्धपालन के छोटे-छोटे स्टॉल बना दिए जाएं। उन्होंने कहा, ‘हमारा उद्देश्य किसी को उजाड़ना नहीं है। बस, व्यवस्थित पुनर्वास करना है और व्यवस्थित पुनर्वास के काम में इन पवित्र स्थलों को इस दिशा में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।'
योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘ब्रज भूमि को पुनः नए कलेवर के साथ विकास की दिशा में ले जाना है। विकास के लिए हम कहीं कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। और आध्यात्मिक तथा सांस्कृतिक विकास भी हो, यही हमारी विरासत है। उसे हमें सहेजना है।’