यूपी में 28 करोड़ के कम्प्यूटर-प्रिंटर खरीद घोटाला?, जांच में अफसरों की मिलीभगत साबित, टेंडर प्रक्रिया निरस्त
By राजेंद्र कुमार | Updated: September 24, 2025 17:25 IST2025-09-24T17:24:20+5:302025-09-24T17:25:27+5:30
प्रत्येक जोन को 20-20 लाख रुपए आवंटित किए गए थे. इस धनराशि के विभाग में 3487 डेस्कटॉप कंप्यूटर, 3178 प्रिंटर, 3510 यूपीएस और 608 मल्टीफंक्शनल मशीन(एमएफएम) खरीदने का फैसला किया गया.

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लखनऊः उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आए दिन अखिलेश यादव सरकार में हुए घोटालों का जिक्र करते हैं. साथ ही वह यह दावा भी करते हैं कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार को लेकर "जीरो टॉलरेंस" की नीति पर चलती है. अधिकारी और जनता को ऐसा स्पष्ट संदेश देने वाली योगी सरकार में ही राज्य कर विभाग में 28 करोड़ के कम्प्यूटर-प्रिंटर खरीद में हुआ घोटाला किया गया 28 करोड़ रुपए की कम्प्यूटर-प्रिंटर की खरीद में हुई अनियमितताओं की शिकायत मिले के बाद प्रमुख सचिव राज्य कर एम. देवराज के निर्देश पर कम्प्यूटर-प्रिंटर खरीदने के टेंडर को किया रद्द कर दिया है.
इसके साथ ही कम्प्यूटर-प्रिंटर खरीदने को लेकर कुछ फर्मों को लाभ पहुंचाने के मामले में अधिकारियों की संलिप्तता पाए जाने पर इस मामले की जांच करने के निर्देश भी दिए गए है. इस मामले में दोषी पाए जाने वाले अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, प्रमुख सचिव राज्य कर एम.देवराज ने यह दावा किया है.
ऐसे हुई अनियमितता
राज्य कर विभाग के अधिकारियों के अनुसार, विभाग में कम्प्यूटरों और प्रिंटरों की कमी को दूर करने के लिए पिछले साल प्रत्येक जोन को 20-20 लाख रुपए आवंटित किए गए थे. इस धनराशि के विभाग में 3487 डेस्कटॉप कंप्यूटर, 3178 प्रिंटर, 3510 यूपीएस और 608 मल्टीफंक्शनल मशीन(एमएफएम) खरीदने का फैसला किया गया.
यह खरीद पारदर्शी तरीके से हो इसके लिए प्रमुख सचिव एम.देवराज ने पूरी खरीद सेंट्रलाइज्ड कर दी और निविदा के लिए एक कमेटी बनाने का आदेश दिया. बताया जा रहा है कि 28 करोड़ के कम्प्यूटर-प्रिंटर खरीद के लिए विभाग और एनआईसी के एक अधिकारी ने दो वेंडरों को लाभ पहुंचाने के लिए सभी टेंडर की कई बाधाएं दूर कर दीं.
इसी आधार पर मई-जून में टेंडर निकाल दिया गया. इसके बाद कम्प्यूटर - प्रिंटर खरीद में हुई अनियमितताओं की शिकायत प्रमुख सचिव कर से की गई. इन शिकायतों की गोपनीय जांच में यह पाया गया कि कुछ खास फर्मों को उपकृत करने के लिए विशेष क्लॉज जोड़ गए. जिसके चलते केवल चुनिंदा कंपनियां ही टेंडर प्रक्रिया में शामिल हो सकी.
लखनऊ और एनसीआर की दो फर्मों के नाम पूरे खेल में सामने आए. इसके बाद प्रमुख सचिव राज्य कर ने कम्प्यूटर-प्रिंटर खरीद की निविदा को निरस्त करने के आदेश कर दिए. अगर इन्हें निरस्त न किया जाता तो सरकार को कम से चार करोड़ का नुकसान संभावित था.
अब निविदा प्रक्रिया से होगी खरीद
प्रमुख सचिव राज्य कर एम देवराज के अनुसार, अब विभाग में डेस्कटॉप और यूपीएस के साथ-साथ प्रिंटर खरीद भी निविदा प्रक्रिया के माध्यम से ही होगी. विभागीय आवश्यकता और बड़े ऑर्डर की संख्या को देखते हुए डेस्कटॉप की खरीद 10 से 15 प्रतिशत तक अधिक मात्रा में रखने का निर्देश दिया गया है. प्रिंटर से जुड़े तकनीकी मानदंड भी तय कर दिए गए हैं.
यह भी स्पष्ट किया है कि भविष्य में आईटी उपकरणों की खरीद के लिए किसी भी प्रकार के टेंडर में 60-40 फीसदी बिड की व्यवस्था अपनाई जाएगी, ताकि पारदर्शिता बनी रहे. इस आदेश के साथ आईटी उपकरणों की खरीद में तकनीकी मानकों के पालन की सख्त हिदायत दी गई है. एम. देवराज का कहना है कि वह खुद खरीद की प्रक्रिया पर नजर रखेंगे.