यूपी एनकाउंटर्स का आखिर क्या है सच, परिजनों को ना एफआईआर की कापी मिली ना ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट
By ऐश्वर्य अवस्थी | Updated: August 22, 2018 12:58 IST2018-08-22T12:58:39+5:302018-08-22T12:58:39+5:30
उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है तभी से यहां एनकाउंटर जम कर हो रहे हैं। इनमें से कुछ एनकाउंटर बेहद हैरान करना वाले भी हैं।

यूपी एनकाउंटर्स का आखिर क्या है सच, परिजनों को ना एफआईआर की कापी मिली ना ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट
लखनऊ, 22 अगस्त: उत्तर प्रदेश में जब से योगी आदित्यनाथ की सरकार बनी है तभी से यहां एनकाउंटर जम कर हो रहे हैं। इनमें से कुछ एनकाउंटर बेहद हैरान करना वाले भी हैं। इन एनकाउंटर्स में मारे गए लगभग सभी आरोपियों के परिजनों का आरोप है कि उनको पुलिस की कार्यवाही के दौरान प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा है।
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार परिजनों का आरोप है कि उन्हें दर्ज कराई गई एफआईआर की कापी तक पुलिस के द्वारा नहीं दी गई है। कई मामलों में तो परिजनों को आपराधियों का एनकाउंटर के बाद शव तक नहीं दिया गया है। जब परिजनों ने इसके लिए पुलिस को कहा तो उन्होंने उल्टा उनको फर्जी मामलों में फंसा दिया।
इंडियन एक्सप्रेस ने हाल ही में इन मामलों को लेकर एक पड़ताल की है। जिसमें वह 27 परिवारों से बात की कई जो इस तरह का दर्द झेल चुके हैं। इनमें से 20 से अधिक परिवार वालों का कहना है कि इस मामले में राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग , राज्य अधिकार पैनल , राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग और अन्य फोरमों में मदद की गुहार के बाद भी उनके साथ वही रवैया रखा गया है। इमनें से 17 मामलों की जांच एनएसआरसी कर रही है जबकि चार मामलों की जांच एसएचआरसी के पास है।
खबर के अनुसार आजमगढ़ इसी साल फरवरी में छन्नू सोमकर का एनकाउंटर हुआ था, लेकिन उसके परिवारवालों को नाम तो एफआईआर की कापी ही मिली थी और ना ही पोस्टमार्ट की रिपोर्ट की उनको दी गई। अपराधी पर चोरी करने के आरोप थे। एनकाउंटर के बाद जब परिवारवालों ने उसकी लाश मांगी को पुलिस ने उनको वहां से भगा दिया था। इसी लिस्ट में एक परिवार का नाम और सामने आया है जिसमें लखीमपुर खीरी की बग्गा सिंह का एनकाउंटर हुआ और परिजनों को उसकी लाश नहीं दी गई, जिसके बाद परेशान होकर परिवार आज पंजाब चला गया है। ऐसे में कहा जा रहा है कि पुलिस एफआईआर की कापी ना देकर बहुत कुछ छुपाने की कोशिश कर रही है।