यूपी चुनाव: पश्चिमी यूपी में भाजपा प्रत्याशियों को काले झंडे, कीचड़ और पत्थरों का सामना करना पड़ रहा, 85 लोगों के खिलाफ एफआईआर

By विशाल कुमार | Updated: January 30, 2022 07:58 IST2022-01-30T07:45:24+5:302022-01-30T07:58:26+5:30

सिवालखास से भाजपा प्रत्याशी मनिंदरपाल सिंह को 24 जनवरी की शाम को चुर गांव में हमले का सामना करना पड़ा। इस मामले में 20 ज्ञात और 65 अज्ञात लोगों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई है। हालांकि, सिंह ने खुद एफआईआर नहीं दर्ज कराई है बल्कि गुरुवार पुलिस खुद दर्ज की है।

up election 2022 western up bjp candidates-black-flags-stones-mud-fir against 85 | यूपी चुनाव: पश्चिमी यूपी में भाजपा प्रत्याशियों को काले झंडे, कीचड़ और पत्थरों का सामना करना पड़ रहा, 85 लोगों के खिलाफ एफआईआर

यूपी चुनाव: पश्चिमी यूपी में भाजपा प्रत्याशियों को काले झंडे, कीचड़ और पत्थरों का सामना करना पड़ रहा, 85 लोगों के खिलाफ एफआईआर

Highlightsकम से कम एक दर्जन से अधिक मामलों में भाजपा प्रत्याशियों को विरोध का सामना करना पड़ा है।भाजपा प्रत्याशियों को काले झंडे दिखाए गए या उनके ऊपर कीचड़ और पत्थर फेंके गए।20 ज्ञात और 65 अज्ञात लोगों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई है।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनावों से पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा के प्रत्याशियों को आम जनता के भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है और यही कारण है कि कम से कम एक दर्जन से अधिक ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जिसमें भाजपा प्रत्याशियों को काले झंडे दिखाए गए या उनके ऊपर कीचड़ और पत्थर फेंके गए।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे ही एक मामले में सिवालखास से भाजपा प्रत्याशी मनिंदरपाल सिंह को 24 जनवरी की शाम को चुर गांव में हमले का सामना करना पड़ा।

इस मामले में 20 ज्ञात और 65 अज्ञात लोगों के खिलाफ एक एफआईआर दर्ज की गई है। हालांकि, सिंह ने खुद एफआईआर नहीं दर्ज कराई है बल्कि गुरुवार पुलिस खुद दर्ज की है।

सिंह ने कहा कि मैंने कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई है लेकिन मेरे साथ चल रही सात कारें पत्थरबाजी के कारण क्षतिग्रस्त हो गईं। ये हमारे ही लोग हैं, मैंने उन्हें माफ कर दिया। लोकतंत्र में वोट मांगनेवालों से ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए।

पुलिस की प्राथमिकी में कहा गया है कि पथराव करने वाले लोग राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के झंडे लिए हुए थे और उनकी पहचान की जा रही है।

साल 2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में भारी जीत हासिल करने वाली भाजपा को इस बार रद्द किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की नाराजगी का अभी तक सामना करना पड़ रहा है क्योंकि किसानों को इसके खिलाफ एक साल तक धरना देना पड़ा और इस दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत हो गई।

आंदोलन के दौरान पश्चिमी यूपी के गांवों में भाजपा विधायकों को नियमित रूप से लोगों के विरोध और गुस्से का सामना करना पड़ा था।

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