कैग रिपोर्ट का खुलासा: योगी राज में भी खूब हुआ अवैध खनन का 'खेल'?, 11 जिलों में 45 पट्टाधारकों ने जमकर पैसा बनाया

By राजेंद्र कुमार | Updated: August 13, 2025 17:29 IST2025-08-13T17:28:17+5:302025-08-13T17:29:09+5:30

up CAG report reveals: विधानसभा के दोनों सदनों में भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा उत्तर प्रदेश में खनन और अवैध खनन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है.

up CAG report reveals Did illegal mining continue in Yogi Raj too 45 lease holders in 11 districts made huge money | कैग रिपोर्ट का खुलासा: योगी राज में भी खूब हुआ अवैध खनन का 'खेल'?, 11 जिलों में 45 पट्टाधारकों ने जमकर पैसा बनाया

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Highlightsपट्टाधारकों द्वारा निर्धारित क्षेत्र से अधिक क्षेत्र में जाकर 26.89 लाख घन मीटर खनिजों का अवैध खनन किया गया.खनन पट्टा परमिट लिए बिना ही 53,88,930 घनमीटर गिट्ट एवं बोल्डर का उत्खनन किया गया. डीएम प्रयागराज ने महाप्रबन्धक मेजा ताप विद्युत परियोजना को 3,22,62,40,100 रुपए जमा करने के लिए पत्र भेजा गया था.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास 32 से अधिक विभागों का दायित्व हैं. इनमें से एक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग भी हैं. इस विभाग में वर्ष 2017-18 से 2021-22 के बीच जमकर अवैध खनन का खेल चला था. अधिकारियों की मिलीभगत के राज्य के 11 जिलों में 45 पट्टाधारकों ने निर्धारित पट्टा क्षेत्र के 268.91 हेक्टेयर अधिक क्षेत्रफल में खनन कर सरकार के खजाने को करोड़ों रुपए की चपत लगाई. इसके बाद भी पट्टाधारकों से खनिज मूल्य की वसूली नहीं की जा सकी है. राज्य विधानसभा के दोनों सदनों में भारत के नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) द्वारा उत्तर प्रदेश में खनन और अवैध खनन के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव पर प्रस्तुत की गई रिपोर्ट से यह खुलासा हुआ है.

ऐसे हुई अवैध खनन की अनदेखी

कैग की इस रिपोर्ट में यूपी के 11 जिलों में पट्टों के आवंटन, क्षेत्र निर्धारण, भंडारण लाइसेंस से लेकर राजस्व संग्रह और वसूली में हुई अनियिमतताओं को विस्तार से उजागर किया गया है. रिपोर्ट में बताया गया है कि पट्टाधारकों द्वारा निर्धारित क्षेत्र से अधिक क्षेत्र में जाकर 26.89 लाख घन मीटर खनिजों का अवैध खनन किया गया.

यही नहीं राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम कोहड़ार द्वारा खनन पट्टा परमिट लिए बिना ही 53,88,930 घनमीटर गिट्ट एवं बोल्डर का उत्खनन किया गया. इस मामले में डीएम प्रयागराज ने महाप्रबन्धक मेजा ताप विद्युत परियोजना को 3,22,62,40,100 रुपए जमा करने के लिए पत्र भेजा गया था. तो 81,77,939 रुपए रायल्टी के रूप में जमा कराए गए,

रायल्टी की शेष धनराशि एवं खनिजों का मूल्य 321.81 करोड़ रुपये वसूल नहीं किया जा सका है. रिपोर्ट में यह भी लिखा गया है कि अवैध खनन को छिपाने के लिए कार्यदायी संस्थाओं को अनुचित लाभ भी दिया है. सूबे के 11 जिलों में 45 पट्टाधारकों को आवंटित पट्टा क्षेत्रों के बाहर लगभग 268.91 हेक्टेयर क्षेत्रफल में खनिजों का अवैध खनन करने के मामले में कैग का अनुमान है कि न्यूनतम एक मीटर की गहराई के हिसाब से 26.89 लाख घन मीटर खनिजों का अवैध खनन किया गया.

जबकि तीन जिलों के पांच मामलों में खनन पट्टा दिए बिना 30.40 हेक्टेयर क्षेत्र में उत्खनन हुआ. रिपोर्ट में ईंट भट्ठों की स्थापना में दूरी संबंधी मानदंडों का पालन ना करने पर भी आपत्ति की गई है और कहा गया है कि अवैध खनन का पता लगाने में विभाग द्वारा विकसित खनन निगरानी प्रणाली का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं किया गया है.

जिसके लेकर सपा के विधायक ज़ाहिद बेग का कहना है कि सत्ता पक्ष के तमाम विधायक और अधिकारियो की मिलीभगत अवैध खनन में लिप्त लोगों से है, जिसके चलते ही बेखौफ होकर अवैध खनन हो रहा है. जबकि यह विभाग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास है.

अवैध खनन के परिवहन में भी हुईं अनियिमतताएं

अवैध खनन के नेटवर्क को खोलते हुए कैग रिपोर्ट में लिखा गया है कि खनिज परिवहन में भी अनियमितताएं मिली है. पता चला है कि कार्यदायी संस्थाओं के ठेकेदारों ने सिविल कार्यों में प्रयोग खनिजों के बिलों के साथ आवश्यक ट्रांजिट पास (एमएम-11 प्रपत्र) जमा नहीं किए. दिखाने के लिए और कार्यदायी संस्थाओं ने ठेकेदारों के बिलों से 4.48 करोड़ रुपए की रायल्टी की कटौती तो की,

लेकिन 22.40 करोड़ रुपए खनिज मूल्य और 39 लाख रुपए की वसूली नहीं की गई. जबकि ठेकेदारों द्वारा प्रस्तुत ट्रांजिट पास में फर्जी प्रति, कार्यालय प्रति, चेक पोस्ट प्रति, अन्य गंतव्यों के ट्रांजिट पास, ट्रांजिट पास की जारी तिथि कार्य देने से पूर्व व कार्य पूर्ण होने के पश्चात होने के मामले जांच में मिली है.

कैग को ट्रांजिट पास के डेटा के विश्लेषण से पता चला कि पट्टेदारों ने रात्रि में खनिजों के परिवहन व अनुमन्य मात्रा से अधिक के परिवहन के लिए एक ही वाहन संख्या के विभिन्न क्षमता और प्रकार दर्शाकर ट्रांजिट पास बनाए. कृषि ट्रैक्टरों द्वारा खनिज परिवहन, अनुपयुक्त वाहनों, अयोग्य-फर्जी पंजीकरण संख्या वाले वाहनों और निषिद्ध महीनों में पारगमन के लिए भी पास बनाए.

ट्रैक्टरों से कई सौ किलोमीटर दूर भेजा गया खनिज. इनमें भी उल्लिखित दूरी वास्तविक दूरी से बहुत अधिक मिली. इस तरह की धांधली पकड़ में आने के बाद भी दोषियों के खिलाफ अभी तक कार्यवाही नहीं की गई है. 

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