जोशीमठ में लाल निशान वाले घरों पर लगाए गए 'इस्तेमाल लायक नहीं' के पोस्टर
By शिवेंद्र राय | Published: January 14, 2023 04:09 PM2023-01-14T16:09:39+5:302023-01-14T16:12:29+5:30
इंजीनियरों की टीम ने आकलन के बाद जोशीमठ में अब तक दो दर्जन से अधिक इमारतों पर 'इस्तेमाल लायक नहीं' के पोस्टर लगाए हैं। आकलन के बाद मूल्यांकन रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत की जाएगी ताकि वे उसके अनुसार एक प्रशासनिक योजना बना सकें।
जोशीमठ: उत्तराखंड के जोशीमठ में दरार वाले घरों का निरीक्षण करने पहुंची इंजीनियरों की टीम ने 9 वॉर्डों में 4000 भवनों का आकलन किया। आकलन के बाद टीम ने जर्जर हो चुकी इमारतों को चिन्हित कर उनकी दीवारों पर 'इस्तेमाल लायक नहीं' का पोस्टर लगा दिया है। इस पूरी प्रक्रिया की जानकारी देते हुए सीबीआरआई के मुख्य अभियंता डॉ. अजय चौरसिया ने बताया कि हम भवनों के विवरण का आकलन कर रहे हैं कि भवन का निर्माण कैसे किया गया, किस सामग्री का उपयोग किया गया और यह निर्धारित मानदंडों के अनुसार था या नहीं।
Uttarakhand| Assessment of the 4000 buildings in 9 wards in Joshimath being done. We are assessing the details of the buildings including how the building was constructed, what materials were used, was it according to the set norms: Dr. Ajay Chaurasia, Chief Engineer, CBRI pic.twitter.com/jOpG8RjPxY
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 14, 2023
डॉ. अजय चौरसिया ने आगे बताया कि जिन घरों में दरारें आने की सूचना मिली है उनके आकलन के बाद मूल्यांकन रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को प्रस्तुत की जाएगी ताकि वे उसके अनुसार एक प्रशासनिक योजना बना सकें। इंजीनियरों की टीम ने आकलन के बाद अब तक दो दर्जन से अधिक इमारतों पर 'इस्तेमाल लायक नहीं' के पोस्टर लगाए हैं।
जब ये पूरी प्रक्रिया चल रही थी तब पीड़ित मकान मालिक चुप-चाप टीम को घरों पर पोस्टर लगाते हुए देख रहे थे। बता दें कि जोशीमठ में जमीन धंसने और दरार आने की गति लगातार बढ़ती जा रही है। भू-धंसाव को लेकर कई अध्ययन किए जा रहे हैं और अब तक जो सामने आया है उसके हिसाब से पूरे जोशीमठ के अस्तित्व पर ही खतरा मंडरा रहा है।
जोशीमठ में अशुरक्षित घोषित किए गए होटलों और घरों को ढहाए जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा जा रहा है। उत्तराखंड सरकार ने पीड़ितों के लिए राहत की घोषणा भी की है और विस्थापितों के लिए मकानों के किराए की धनराशि पांच हजार तय की है। इसके अलावा विस्थापितों के बिजली-पानी के बिल 6 महीने की अवधि के लिए माफ करना तथा बैंकों से उनके ऋणों की वसूली एक साल तक स्थगित रखना भी शामिल है।
शनिवार को ही जोशीमठ-औली को जोड़ने वाली रोप-वे के प्लेटफार्म में आई दरार को देखते हुए रोप-वे को भी अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है। बता दें कि जोशीमठ में घरों में आ रही दरारों की सबसे बड़ी वजह पहाड़ों में विकास के नाम पर दिन रात चल रहे निर्माण कार्य और बड़ी-बड़ी मशीनों से हो रहे ड्रिलिंग को बताया जा रहा है।
विशेषज्ञों का ये भी कहना है कि जब एनटीपीसी जैसे प्रोजेक्टों के लिए खुदाई होती है तो उसकी वजह से पहाड़ का ऊपरी हिस्सा कमजोर होने लगता है। सरकार ने इस तथ्य को नजरअंदाज किया और अब जोशीमठ जैसा उदाहरण हमारे सामने है।