स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कहा है कि अच्छी तरह साफ सफाई नहीं रखने से जनस्वास्थ्य परभारी भरकम खर्च आता है । इसलिए सार्वभौमिक, सुरक्षित, संपोषणीय स्वच्छता प्रदान करने की जरूरत है ।मानव मल के प्रबंधन से संबद्ध संस्था राष्ट्रीय मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (एनएफएसएसएम) द्वारा आयोजित ऑनलाइन परिचर्चा में उन्होंने कहा कि बीमारियों के फैलने से उच्च मृत्युदर के अलावा घटिया स्वच्छता (गंदगी) से भारी भरकम जनस्वास्थ्य खर्च भी आता है। बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन - इंडिया की उपनिदेशक मधु कृष्णा ने कहा कि सार्वभौमिक सुरक्षित, संपोषणीय स्वच्छता प्रदान करना टीकाकरण जैसा है एवं शहरी क्षेत्रों में अब इसकी जरूरत बढ़ रही है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने स्वच्छता में काफी निवेश किया है और आगे भी करते रहेंगे। यह स्पष्ट है कि अशोधित मानव मल का हमारे स्वास्थ्य पर बुरा असर होता है एवं सुरक्षित स्वच्छता कई संक्रामक रोगों की रोकथाम के लिए जरूरी है। महिला-पुरूष की दृष्टि से देखने पर सेवा प्रदाय का महिलाओं एवं बालिकाओं पर अधिक असर होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमें समावेशी पहल अपनाने की जरूरत है। नब्बे फीसद अग्रिम कर्मी महिलाएं हैं, उसके बाद भी स्वच्छता सुविधाएं उनके लिए सुनिश्चित नहीं की जाती है।’’ प्रोग्राम एप्रोपिएट टेक्नोलोजी इन हेल्थ, इंडिया के निदेशक नीरज जैन ने कहा कि एहतियाती एवं उपचारात्मक उपायों पर ध्यान देने की जरूरत है जहां रोकथाम, वाश (WASH वाटर, सैनिटेशन एवं हाइजिन) पद्धतियां हैं जबकि उपचारात्मक का तात्पर्य सभी को स्वास्थ्य सेवाएं मयस्सर होना है। उन्होंने कहा, ‘‘ रोग गंदगी भरे माहौल से फैलते हैं। हम एक विशाल देश हैं जहां ठोस हल जनस्वास्थ्य कार्यक्रम की सफलता के लिए अहम हैं। ’’ सेंटर फोर एडवोकेसी एंड रिसर्च की कार्यकारी निदेशक अखिला शिवदासन ने कहा, ‘‘ समुदायों के बीच सकारात्मक विचार, उनकी अपनी बाध्यता, उनकी अपनी भागीदारी एवं सहभागिता स्वास्थ्य नतीजे के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
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