नौ न्यायाधीशों के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में एक साथ शपथ लेना अभूतपूर्व घटना
By भाषा | Updated: August 31, 2021 22:21 IST2021-08-31T22:21:04+5:302021-08-31T22:21:04+5:30

नौ न्यायाधीशों के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के रूप में एक साथ शपथ लेना अभूतपूर्व घटना
तीन महिला न्यायाधीशों सहित नौ न्यायाधीशों द्वारा मंगलवार को एक साथ शपथ लेना और पद ग्रहण करना अभूतपूर्व घटना है जो उच्चतम न्यायालय के 71 साल के इतिहास में अनेक मामलों में पहली बार हुआ है।तीन महिला न्यायाधीशों न्यायमूर्ति हिमा कोहली, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी ने पहली बार एक साथ शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने सभी न्यायाधीशों को शपथ दिलाई। तीन महिला न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के साथ, जो शीर्ष अदालत के इतिहास में पहली बार हुआ, उच्चतम न्यायालय में एक साथ चार महिला न्यायाधीश होंगी। उच्चतम न्यायालय 26 जनवरी 1950 को अस्तित्व में आया था। अपनी स्थापना के बाद से और पिछले लगभग 71 वर्षों में केवल आठ महिला न्यायाधीशों को देखा गया है, जिसकी शुरुआत 1989 में न्यायमूर्ति एम फातिमा बीवी के साथ हुई थी। उच्चतम न्यायालय ने कहा था, ‘‘यह भारत के शीर्ष अदालत के इतिहास में पहली बार है जब नौ न्यायाधीश एक साथ पद की शपथ लेंगे।’’ नागरिकों और अधिकार कार्यकर्ताओं की एक महिला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) की लंबे समय से चली आ रही मांग भी स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार पूरी होगी क्योंकि न्यायमूर्ति नागरत्ना सितंबर 2027 में भारत की पहली महिला प्रधान न्यायाधीश होंगी। इस बार पहली बार शपथ ग्रहण समारोह को सीजेआई के कोर्ट रूप के बजाय नवनिर्मित सभागार में स्थानांतरित कर दिया गया था। न्यायमूर्ति कोहली, न्यायमूर्ति नागरत्ना और न्यायमूर्ति त्रिवेदी के अलावा जिन न्यायाधीशों ने शपथ ली हैं उनमें न्यायमूर्ति अभय श्रीनिवास ओका, न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति जितेंद्र कुमार माहेश्वरी, न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार, न्यायमूर्ति एमएम सुंद्रेश और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा शामिल हैं। नौ नए न्यायाधीशों के शपथ लेने के साथ ही उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों की संख्या बढ़कर अब 33 हो गई है। उच्चतम न्यायालय में प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायाधीशों के स्वीकृत पदों की संख्या 34 है।
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