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उन्नाव मामला: दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत मामले में सेंगर और अन्य गैर इरादतन हत्या के दोषी करार

By भाषा | Published: March 04, 2020 11:17 PM

अदालत ने यद्यपि कहा कि आरोपियों का उसकी हत्या करने का कोई इरादा नहीं था। ‘‘यद्यपि उन्होंने पीड़िता के पिता की बेरहमी से पिटाई की, जिसके चलते उनकी मौत हुई।’’

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ठळक मुद्देदिल्ली की एक अदालत ने भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और सात अन्य को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत के मामले में गैर इरादतन हत्या का बुधवार को दोषी ठहराया। उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी।

दिल्ली की एक अदालत ने भाजपा के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और सात अन्य को उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत के मामले में गैर इरादतन हत्या का बुधवार को दोषी ठहराया। उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी। जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने यह भी कहा कि रिकार्ड में लाये गए तथ्यों और परिस्थितियों से यह संदेह से परे साबित हुआ है कि आरोपियों ने एक देसी कट्टा और चार गोलियां रखकर पीड़ित को झूठे मामले में फंसाने के लिए भी षड्यंत्र रचा।

अदालत ने यद्यपि कहा कि आरोपियों का उसकी हत्या करने का कोई इरादा नहीं था। ‘‘यद्यपि उन्होंने पीड़िता के पिता की बेरहमी से पिटाई की, जिसके चलते उनकी मौत हुई।’’

न्यायाधीश ने कहा कि यह बात आम है कि ‘‘जब पुलिस मारती है तो बेरहमी से मारती है।’’ उन्होंने कहा कि जिला अस्पताल में चिकित्सकों ने भी लापरवाह तरीके से काम किया। अदालत ने कहा कि आरोपियों.. अशोक सिंह भदौरिया, के पी सिंह, कुलदीप सिंह सेंगर, विनीत मिश्रा, बीरेंद्र सिंह, शशि प्रताप सिंह, सुमन सिंह और अतुल (सेंगर का भाई) को अपराध के लिए धारा 120 बी के तहत दोषी ठहराया जाता है। इसके साथ ही उसके साथ जिन धाराओं को पढ़ा जाएगा उनमें भारतीय दंड संहिता की धारा 166, 167, 193, 201, 211, 218, 323, 341, 304 शामिल हैं।

अदालत ने आरोपियों को शस्त्र कानून की एक धारा के तहत भी दोषी ठहराया। अदालत ने माखी पुलिस थाने के प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया, उप निरीक्षक के पी सिंह को दोषी ठहराते हुए कहा कि ‘‘अनुभवी पुलिस अधिकारी होते हुए उन्होंने तब पीड़ित की जान और स्वतंत्रता बचाने के लिये उस वक्त कानून के निर्देश का उल्लंघन किया जब पीड़ित और किशोर कुमार मिश्रा को सह आरोपी व्यक्तियों द्वारा पीटा जा रहा था...।’’

अदालत ने यद्यपि आरोपी व्यक्तियों कान्स्टेबल आमिर खान, शैलेंद्र सिंह, रामशरण सिंह और शरदवीर सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘यह साफ है कि कई व्यक्ति पर्दे के पीछे रहते हुए इस क्रूर कृत्य में सहयोग कर रहे थे या उसे बढ़ावा दे रहे थे लेकिन प्रत्येक को मात्र संदेह के आधार पर कानून के तहत दोषी नहीं ठहराया जा सकता।’’

अदालत ने 20 दिसंबर को सेंगर को 2017 में दुष्कर्म करने के आरोप में आजीवन कैद की सजा सुनाई थी। घटना के वक्त पीड़िता नाबालिग थी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले में 55 गवाहों का परीक्षण किया जबकि बचाव पक्ष ने नौ गवाहों का परीक्षण किया।

अदालत ने पीड़िता के एक रिश्तेदार, मां, बहन और उसके पिता के एक सहकर्मी के बयान दर्ज किए। उसके पिता के सहकर्मी ने घटना का चश्मदीद होने का दावा किया था।

सीबीआई के अनुसार, तीन अप्रैल 2018 को दुष्कर्म पीड़िता के पिता और शशि प्रताप सिंह के बीच झगड़ा हुआ था। 13 जुलाई 2018 को दाखिल आरोपपत्र में कहा गया कि पीड़िता के पिता और उनके सहकर्मी अपने गांव माखी लौट रहे थे तभी उन्होंने सिंह को (अपने वाहन में) लिफ्ट देने के लिए कहा।

सिंह ने लिफ्ट देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उनके बीच विवाद हुआ। सिंह ने अपने सहयोगियों को बुलाया। इसके बाद कुलदीप सेंगर का भाई अतुल सिंह सेंगर अन्य लोगों के साथ घटनास्थल पर पहुंचा और महिला के पिता तथा उनके सहकर्मी की पिटाई की। इसके बाद महिला के पिता को उनके द्वारा पुलिस थाना ले जाया गया, जहां उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

आरोपपत्र में कहा गया है कि इन सबके दौरान कुलदीप सेंगर जिले के पुलिस अधीक्षक और माखी पुलिस थाने के प्रभारी अशोक सिंह भदौरिया के संपर्क में था। बाद में उसने उस डॉक्टर से भी बात की जिसने दुष्कर्म पीड़िता के पिता की जांच की थी।

मामले में सेंगर, उसके भाई अतुल, भदौरिया, सब इंस्पेक्टर कामता प्रसाद, कांस्टेबल आमिर खान और छह अन्य के खिलाफ आरोप तय किया गया। पिछले साल एक अगस्त को उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मामला उत्तर प्रदेश की एक निचली अदालत से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। जुलाई 2019 में एक ट्रक ने उस कार को टक्कर मार दी थी, जिसमें पीड़िता अपने परिवार के कुछ सदस्यों तथा अपने वकील के साथ यात्रा कर रही थी। घटना में उसकी दो रिश्तेदारों की मौत हो गई।

पीड़िता को लखनऊ के एक अस्पताल से विमान से दिल्ली स्थित एम्स लाया गया। पीड़िता को दिल्ली में ठहराया गया है और वह सीआरपीएफ की सुरक्षा में है।

टॅग्स :उन्नाव गैंगरेपकुलदीप सिंह सेंगरकोर्ट
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