आईटीबीपी की अनोखी पहलः सेवानिवृत्त लड़ाकू श्वानों को ‘थैरेपी डॉग’ के तौर पर तैनाती

By भाषा | Updated: March 26, 2021 17:44 IST2021-03-26T17:44:34+5:302021-03-26T17:44:34+5:30

Unique initiative of ITBP: Deployment of retired combat dogs as 'therapy dog' | आईटीबीपी की अनोखी पहलः सेवानिवृत्त लड़ाकू श्वानों को ‘थैरेपी डॉग’ के तौर पर तैनाती

आईटीबीपी की अनोखी पहलः सेवानिवृत्त लड़ाकू श्वानों को ‘थैरेपी डॉग’ के तौर पर तैनाती

(नीलाभ श्रीवास्तव)

नयी दिल्ली, 26 मार्च भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने अपनी तरह का अनोखा कदम उठाते हुए सेवानिवृत्त लड़ाकू श्वानों का उपयोग 'थैरेपी डॉग' के तौर पर करने का फैसला लिया है। इस नयी भूमिका में ये श्वान बल के उपचाराधीन कर्मियों के जल्द स्वास्थ लाभ और उनके दिव्यांग बच्चों की मदद करेंगे।

फिलहाल पांच श्वानों के पहले बैच को ‘थैरेपी डॉग’ के तौर पर बल में नियुक्ति दी गई है।

विभिन्न केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) में सेवाएं दे रहे श्वानों को तय उम्र सीमा व सेवा के दौरान अपंग होने पर सेवानिवृत्त कर दिया जाता है। सेवानिवृत्ति के बाद इनके सामने आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर इन श्वानों का समायोजन एक चिंता का विषय था।

सीएपीएफ में आंतरिक सुरक्षा में सहायता की विभिन्न भूमिकाओं के तहत लगभग 3,500 श्वान तैनात हैं। इसके तहत ये छिपे हुए विस्फोटकों का पता लगाने से लेकर आतंकवादियों और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने में सहायता करते हैं।

केंद्रीय गृह मंत्रालय में पुलिस श्वानों पर नए बने प्रकोष्ठ द्वारा इस विषय पर हाल ही में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में इसे मुद्दे पर चर्चा की गई थी।

वर्तमान में इन केंद्रीय बलों से सेवानिवृत्त हुए श्वानों को पशुओं के गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) को सौंप दिया जाता है या बल के तहत स्थापित ‘रिटायरमेंट होम’ में रखकर उनकी देखभाल की जाती है।

चंडीगढ़ के पास स्थित भानु में आईटीबीपी के श्वान एवं पशुओं के लिए राष्ट्रीय प्रशिक्षण केंद्र के ‘रिटायरमेंट होम’ में रह रहे पांच श्वानों के एक बैच को पहली बार ‘थैरेपी डॉग’ के तौर पर बल में नियुक्ति दी गई है।

आईटीबीपी के मुख्य पशु चिकित्सक उप महानिरीक्षक सुधाकर नटराजन ने पीटीआई-भाषा से कहा कि पूजा, टॉम, रैम्बो, रानी और ग्रेवी नामक श्वान सेवानिवृत्त हो चुके हैं और वे केवल 11 साल की उम्र से कुछ अधिक के हैं।

उन्होंने कहा, “सभी पांच श्वानों ने आईटीबीपी अस्पताल में जाना शुरू कर दिया है और वे मरीजों की भावनात्मक रूप से सहायता करते हैं जिसकी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। श्वानों के होने से मरीजों को अस्पताल की उदासीनता में भावनात्मक सहारा मिलता है।”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा ये श्वान दिव्यांग बच्चों के साथ भी घुलमिल जाते हैं और इससे उनमें जो आत्मविश्वास झलकता है वह देखने लायक है। बच्चों और श्वानों के बीच तालमेल देखते ही बनता है।

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Web Title: Unique initiative of ITBP: Deployment of retired combat dogs as 'therapy dog'

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