देश के 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में से बीस ऐसे हैं जो लंबे समय से बिना नियमित कुलपति के ही चल रहे हैं। इन विश्वविद्यालयों में फिलहाल कार्यवाहक कुलपति ही सारा कामकाज देख रहें हैं। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन में अभी और विलंभ होना तय माना जा रहा है। ऐसे में नए वाइस चांसलर की भर्तियां कब तक होगी इस पर कुछ साफतौर पर नहीं कहा जा सकता।
टेलीग्राफ अखबार की रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा मंत्रालय के दो अधिकारियों ने कहा कि चयन समितियों ने साक्षात्कार किया था और कम से कम चार महीने पहले एक दर्जन कुलपति पदों के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों के नाम जमा किए थे। शेष आठ केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए चयन प्रक्रिया चल रही थी। वहीं कुछ जगहों पर यह प्रक्रिया अभी शुरू होनी बाकी थी।
शिक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) पर देरी का आरोप लगाते हुए कहा कि यह शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की फाइलों को पास नहीं कर रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि यह सरकार नीतिगत पक्षाघात से पीड़ित है। वे विचारधारा से इतने प्रेरित हैं कि वे उच्च शिक्षा संस्थानों की परवाह नहीं करते हैं।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कानून के तहत कुलपतियों की नियुक्ति में पीएमओ की कोई भूमिका नहीं होती है। उन्होंने कहा कि मंत्रालय को (शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों की) फाइल राष्ट्रपति को भेजनी है, जो केंद्रीय विश्वविद्यालयों के विजिटर हैं और अंतिम चयन करते हैं। चयन समिति के नाम आने के बाद नियुक्ति पत्र जारी करने में आमतौर पर एक सप्ताह का समय लगता है।
लेकिन इन दिनों फाइलें अनधिकृत रूप से पीएमओ को भेजी जाती हैं। वहां फाइलें देरी से चल रही हैं। उम्मीद है कि पीएमओ शॉर्टलिस्ट की समीक्षा करेंगे और उम्मीदवारों के नाम साझा कर इन खाली सीटों को भरा जाएगा।
इन केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नहीं हुई है स्थायी वाइसचांसलर की नियुक्ति
उत्तर-पूर्वी पहाड़ी विश्वविद्यालय (शिलांग), मणिपुर विश्वविद्यालय, असम विश्वविद्यालय (सिलचर), गुरु घासीदास विश्वविद्यालय (छत्तीसगढ़), सागर विश्वविद्यालय (मध्य प्रदेश), दिल्ली में दो संस्कृत विश्वविद्यालय, बिहार और जम्मू में दो केंद्रीय विश्वविद्यालय और कश्मीर, और झारखंड, राजस्थान, हरियाणा, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और नागालैंड में एक-एक केंद्रीय विश्वविद्यालय।