TRP case: टीआरपी में हेरफेर, सीबीआई ने दर्ज किया केस, योगी सरकार ने अनुशंसा की
By सतीश कुमार सिंह | Published: October 20, 2020 07:33 PM2020-10-20T19:33:49+5:302020-10-20T20:09:39+5:30
अधिकारियों ने बताया कि टीआरपी में हेरफेर के आरोपों पर एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद सीबीआई ने लखनऊ पुलिस से जांच का जिम्मा अपने हाथ में लिया है।
लखनऊः उत्तर प्रदेश में फर्जी टीवी रेटिंग को लेकर दायर शिकायत के आधार पर सीबीआई ने केस दर्ज किया। अधिकारियों ने बताया कि टीआरपी में हेरफेर के आरोपों पर एफआईआर दर्ज किए जाने के बाद सीबीआई ने लखनऊ पुलिस से जांच का जिम्मा अपने हाथ में लिया है।
बता दें कि मुंबई पुलिस भी इस मामले की जांच कर रही है और उसने रिपब्लिक टीवी समेत तीन चैनलों को आरोपी बनाया है। रिपब्लिक टीवी ने सीबीआई जांच की मांग की है और मुंबई पुलिस पर आरोप लगाया है कि सुशांत सिंह राजपूत मामले को लेकर सवाल उठाने की वजह से वह उसके खिलाफ बदले की कार्रवाई कर रही है। मंगलवार को बीजेपी प्रशासित उत्तर प्रदेश में एक शिकायत दर्ज होने के बाद योगी आदित्यनाथ सरकार ने सीबीआई जांच की अनुशंसा कर दी।
सीबीआई ने उत्तर प्रदेश पुलिस के अनुमोदन के आधार पर टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट्स (टीआरपी) में कथित तौर पर हेरफेर किए जाने को लेकर प्राथमिकी दर्ज की है। यह जानकारी मंगलवार को अधिकारियों ने दी। उन्होंने कहा कि मामला पहले लखनऊ के हजरतगंज थाने में एक विज्ञापन कंपनी के प्रवर्तक की शिकायत पर दर्ज किया गया था, जिसे उत्तरप्रदेश सरकार ने सीबीआई को सौंप दिया। उन्होंने कहा कि त्वरित कार्रवाई करते हुए सीबीआई ने अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है।
अधिकारियों ने बताया कि मुख्य आरोप धन लेकर टीआरपी रेटिंग में हेरफेर किए जाने का मामला है। सीबीआई अधिकारियों ने विस्तृत ब्यौरा देने से इंकार कर दिया। किसी चैनल या कार्यक्रम की टीआरपी का इस्तेमाल विज्ञापन एजेंसियां उनकी लोकप्रियता मापने में करती हैं जिससे विज्ञापन की कीमत प्रभावित होती है।
भारत में ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) 45 हजार से अधिक घरों में एक उपकरण लगाकर प्वाइंट की गिनती करता है। इस उपकरण को ‘‘बार ओ मीटर’’ कहा जाता है। यह उपकरण इन घरों के सदस्यों द्वारा किसी कार्यक्रम या चैनल के देखे जाने का आंकड़ा एकत्रित करता है जिसके आधार पर बार्क साप्ताहिक रेटिंग जारी करता है। मुंबई पुलिस ने हाल में टीआरपी में हेरफेर किए जाने का एक मामला दर्ज किया था जिसके बाद बार्क ने अस्थायी रूप से रेटिंग का काम स्थगित कर दिया है।
बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि यदि मुंबई पुलिस की अपराध शाखा टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट (टीआरपी) मामले में रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी की पेशी चाहती है तो उसे पहले गोस्वामी को सम्मन जारी करना चाहिये, जैसा कि मामले में आठ अन्य लोगों के संबंध में किया गया था। न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एम.एस. कर्णिक की खंडपीठ ने कहा कि यदि ऐसा कोई सम्मन जारी किया जाता है तो फिर गोस्वामी को पुलिस के समक्ष पेश होना होगा और जांच में सहयोग करना होगा।
अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि मामले की जांच से संबंधित दस्तावेज अदालत के अवलोकन के लिए पांच नवंबर तक सीलबंद लिफाफे में दिए जाएं। अदालत में इसी दिन मामले पर सुनवाई भी होनी है। अदालत ने कहा, ‘‘प्राथमिकी में संपूर्ण विवरण नहीं होता। हम जांच के दस्तावेज देखना चाहते हैं और जानना चाहेंगे कि आज से लेकर सुनवाई की अगली तारीख तक क्या जांच होती है।’’
अदालत रिपब्लिक टीवी के स्वामित्व वाली एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लि. की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गोस्वामी ने छह अक्टूबर को दर्ज प्राथमिकी रद्द करने की मांग की है। याचिका में यह मामला निष्पक्ष एवं पारदर्शी जांच की खातिर सीबीआई को हस्तांतरित करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। याचिका में अनुरोध किया गया है कि उच्च न्यायालय जांच पर रोक लगाए और पुलिस को याचिका के लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कदम उठाने से रोके।