केरल: 9 जून से 31 जुलाई तक 52 दिनों के लिए ‘ट्रॉलिंग’ पर लगा बैन, पारंपरिक मछुआरों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं
By आजाद खान | Published: June 1, 2023 03:37 PM2023-06-01T15:37:32+5:302023-06-01T16:02:45+5:30
बता दें कि हर साल सरकार इसी तरीके से राज्य के तटों से ‘ट्रॉलिंग’ पर बैन लगाती आ रही है। इस दौरान सरकार उन मछुआरों को राशन भी देती है जो बैन की वजह से समुद्र में मछली पकड़ने नहीं जा पाते हैं।
तिरुवनंतपुरम: केरल सरकार ने राज्य के तटीय जल क्षेत्र में 52 दिन के लिए ‘ट्रॉलिंग’ (जाल से मछली पकड़ने के कार्य) को प्रतिबंधित करने का बुधवार को फैसला किया। मुख्यमंत्री कार्यालय ने एक बयान में बताया कि मुख्यमंत्री पी विजयन की अगुवाई में हुई कैबिनेट की बैठक में इस बाबत फैसला किया गया है।
इस बयान में यह भी कहा गया है कि इन 52 दिनों के दौरान सभी ट्रॉलरों को केरल समुद्र से 12 समुद्री मील दूर रहने का निर्देश दिया गया है। हालांकि यह बैन पारंपरिक मछुआरों के लिए लागू नहीं है और वे पहले की तरह मछली पकड़ सकते है। आपको बता दें कि यह बैन पहली बार 1988 में लगा था और तब से हर साल यह बैन लगाया जाता है।
बयान में क्या कहा गया है
बयान में कहा गया है कि कैबिनेट ने राज्य के तटीय जल क्षेत्र में नौ जून की आधी रात से 31 जुलाई की मध्य रात्रि तक ‘ट्रॉलिंग’ को प्रतिबंधित करने का फैसला किया गया है। उसमें कहा गया है कि इस बाबत जल्द एक अधिसूचना जारी की जाएगी। बता दें कि 1988 के बाद से हर साल इसी तरीके बैन लगाया जाता है ताकि इस दौरान जाल का इस्तेमाल न हो और मछलियां सुरक्षित रहे क्योंकि यही वे दिन होते है जब मछलियां अंडे और बच्चे देते है।
ऐसे में अगर इस समय भी मछलियों को पकड़ने के लिए जाल का इस्तेमाल होते रहा तो वे उनके अंडा देने और बच्चे पैदा करने की साइकल पर असर पड़ेगा और उनकी आबादी घटने लगेगी। मत्स्य पालन विभाग के अनुसार, आंकड़ों की अगर माने तो केरल के तट पर 222 गांव ऐसे हैं जहां मछली पकड़ने वाले बसे हैं।
बैन के दौरान मछुआरों को राशन देती है सरकार
यही नहीं इन इलाकों में 10 लाख मछुआरों के बसे होने के भी आंकड़े सामने आए हैं। गौर करने वाली बात यह है कि इस बैन के दैरान राज्य सरकार आमतौर पर मछुआरों और उनके परिवारों को राशन की आपूर्ति करती है क्योंकि उन्हें समुद्र में जाने की अनुमति नहीं होती है।