मांगें नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को दिल्ली की तरफ ट्रैक्टर परेड निकालेंगे : किसान संगठन
By भाषा | Updated: January 2, 2021 18:56 IST2021-01-02T18:56:11+5:302021-01-02T18:56:11+5:30

मांगें नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को दिल्ली की तरफ ट्रैक्टर परेड निकालेंगे : किसान संगठन
नयी दिल्ली, दो जनवरी सरकार के साथ अगले दौर की वार्ता से पहले अपने रुख को और सख्त करते हुए प्रदर्शनकारी किसानों के संगठनों ने शनिवार को कहा कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो 26 जनवरी को जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा होगा, तब दिल्ली की ओर ट्रैक्टर परेड निकाली जाएगी।
यहां संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान संगठनों के नेताओं ने कहा कि अब ‘निर्णायक’ कार्रवाई की घड़ी आ गई है क्योंकि सरकार ने उनकी मांगों पर अब तक ध्यान नहीं दिया है।
उल्लेखनीय है कि 26 जनवरी को ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन गणतंत्र दिवस पर राजपथ पर होने वाली परेड में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होंगे।
किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने कहा कि उनकी प्रस्तावित परेड ‘ किसान परेड’ के नाम से होगी और यह गणतंत्र दिवस परेड के बाद निकाली जाएगी।
गौरतलब है कि सरकार और प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों के बीच अगले दौर की वार्ता चार जनवरी को प्रस्तावित है। संगठनों ने शुक्रवार को कहा था कि अगर बैठक में गतिरोध दूर नहीं हो पाता तो उन्हें सख्त कदम उठाना होगा।
संवाददाता सम्मेलन के बाद किसान नेता अभिमन्यु कोहर ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि किसान संगठनों को चार जनवरी को होने वाली बैठक से उम्मीद है, लेकिन वे पिछले अनुभवों के मद्देनजर सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते हैं।
बता दें कि हजारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं -सिंघू, टिकरी एवं गाजीपुर- पर गत एक महीने से अधिक समय से केंद्र के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने, फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी देने और अन्य दो मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। इनमें अधिकतर पंजाब एवं हरियाणा के हैं।
किसान संगठनों के नेताओं ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम शांतिपूर्ण रहना चाहते हैं और हमने सरकार से बातचीत के दौरान कहा कि उसके पास दो विकल्प है- या तो तीनों कानूनों को रद्द करे या बलपूर्वक हमें (दिल्ली की सीमा पर चल रहे धरनास्थल से) हटाए। अब निर्णायक कार्रवाई का समय आ गया है और हमने जनता की सर्वोच्चता को प्रदर्शित करने के लिए 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस को चुना है।’’
पाल ने कहा कि अगर किसानों की मांगें नहीं मानी जाती तो हजारों किसानों के पास 26 जनवरी को अपने ट्रैक्टर, ट्रॉली एवं राष्ट्रीय ध्वज के साथ दिल्ली कूच करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।
‘किसान परेड’ के समय और मार्ग के बारे में पूछने पर पाल ने कहा कि संगठन बाद में इसकी घोषणा करेंगे।
किसान नेता ने कहा कि उनके कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) राजमार्ग के रास्ते छह जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर मार्च में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि यह 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड का पूर्वाभ्यास होगा।
स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार का किसानों की 50 प्रतिशत मांगों को स्वीकार करने का दावा ‘सरासर झूठ’ है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अब तक लिखित में कुछ नहीं मिला है।’’
एक अन्य किसान नेता ने कहा, ‘‘हम शांतिप्रिय हैं और बने रहेंगे लेकिन दिल्ली की सीमा पर तब तक जमे रहेंगे जब तक नए कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लिया जाता।’’
किसानों नेताओं ने स्पष्ट किया कि सरकार के साथ पिछले दौर की हुई वार्ता में किसान आंदोलन की दो छोटी मांगों पर सहमति बनी थी लेकिन उस बारे में भी अब तक लिखित या कानूनी रूप से कुछ नहीं मिला है जबकि प्रमुख मांगों पर अब भी गतिरोध बना हुआ है।
संयक्त किसान मोर्चा ने एक बयान में कहा, ‘‘हमारी मांग तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की है, लेकिन केंद्र ने किसान संगठनों से वैकल्पिक प्रस्ताव के साथ आने को कहा है और इसके जवाब में किसान नेताओं ने कहा कि कानून को वापस लेने का कोई विकल्प नहीं है।’’
बयान में कहा गया, ‘‘सरकार ने सैद्धांतिक तौर पर भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद का कानूनी अधिकार देने की हमारी मांग पर सहमति नहीं जताई है। हमारे पास कोई विकल्प नहीं है।’’
किसान नेता बीएस राजेवाल ने रेखांकित करते हुए कहा कि अदालत ने भी कहा कि ‘शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन’ व्यक्ति का अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘‘हम यहां संघर्ष के लिए नहीं हैं।’’
उल्लेखनीय है कि गत बुधवार को छठे दौर की औपचारिक वार्ता के बाद सरकार और प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच बिजली के दामों में बढ़ोतरी एवं पराली जलाने पर जुर्माने के मुद्दों पर सहमति बनी थी, लेकिन विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी को लेकर गतिरोध बना हुआ है।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा, ‘‘पिछली बैठक में हमने सरकार से सवाल किया कि क्या वह 23 फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘नहीं’’। फिर आप देश की जनता को क्यों गलत जानकारी दे रहे हैं।’’
किसान नेता अशोक धावले ने कहा, ‘‘अब तक हमारे प्रदर्शन के दौरान करीब 50 किसान ‘शहीद’ हो चुके हैं।’’
उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा, ‘‘पहले उन्होंने इसे सिख किसान प्रदर्शन कहा, बाद में इसे उत्तर भारत का प्रदर्शन कहा, अब जब यह देशभर में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हो रहा है, मुझे डर है कि अब सरकार लोगों से यह कह सकती है कि यह ‘पृथ्वी’ पर ही हो रहा है किसी अन्य ग्रह पर नहीं।
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