टोक्यो : भारत के स्टार पहलवान में से एक रवि दहिया ने न सिर्फ अपने खेल से बल्कि अपने व्यवहार से भी सच्ची खेल की भावना दिखाई है । रवि ओलंपिक खेलों में रजत पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय पहलवान बन गए हैं । उन्होंने पुरुषों की फ्री स्टाइल 57 किलोग्राम के खिताबी मुकाबले में विश्व चैंपियन जावुर उगुएव को 4-7 से हराकर रजत पदक अपने नाम किया ।
लेकिन टोक्यो ओलंपिक में सेमीफाइनल मैच के दौरान प्रतिद्वंदी नुरिसलाम सनायवे ने उनके बाइसेप्स पर जोर से काट डाला था और रवि को तेज दर्द का भी सामना करना पड़ा था लेकिन उन्होंने इस मामले में सनायवे के खिलाफ कोई शिकायत नहीं की और उन्हें माफ भी कर दिया ।
रवि ने इस मामले में सवाल पूछे जाने पर आजतक से कहा कि 'मैं कोई विवाद नहीं चाहता था । मेरा पूरा ध्यान सिर्फ मेरे खेल पर था ।' उन्होंने कहा कि 'अगले दिन वह पहलवान मेरे पास आया और मुझसे माफी मांगी । इस वजह से मैंने कोई शिकायत नहीं की । ' रवि ने न केवल कुश्ती के मैदान पर वापसी की बल्कि खेल भावना की भी बेहतर मिसाल पेश की ।
मैच में 2-9 से पीछे चल रहे पहलवान रवि दहिया अपने प्रतिद्वंदी के सामने घबराए नहीं और उन्होंने चौथे नंबर पर काबिज सनायवे को डब लेग अटैक की मदद से पकड़ लिया और जीत हासिल की । हरियाणा के नाहरी गांव के पहलवान ने अपने ओपनिंग मैच में कोलंबिया के टाइग्रेरोस उरबानो (13-2) को मात दी थी और फिर क्वार्टर फाइनल में बुल्गारिया के जॉर्जी वैलेंटिनोव वांगेलोव (14-4) को हराया था।
हालांकि, 23 वर्षीय अपने पदक से संतुष्ट नहीं हैं क्योंकि वह टोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण जीतना चाहते थे। उन्होंने कहा कि मुझे रजत पदक जीतकर अच्छा लग रहा लेकिन मुझे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी और मैं थोड़े से अंतर से स्वर्ण पदक से चुक गया ।