वो पांच हीरो जिनके संघर्ष ने बदला इतिहास, समलैंगिकों को दिलाया यौन संबंध का अधिकार

By भाषा | Published: September 6, 2018 08:56 PM2018-09-06T20:56:30+5:302018-09-06T20:56:30+5:30

उच्चतम न्यायालय ने सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध के दायरे से बाहर करने का फैसला दिया है। इन लोगों के प्रयासों का नतीजा...

Those five heroes whose struggle has changed history, right to sex given to LGBT | वो पांच हीरो जिनके संघर्ष ने बदला इतिहास, समलैंगिकों को दिलाया यौन संबंध का अधिकार

वो पांच हीरो जिनके संघर्ष ने बदला इतिहास, समलैंगिकों को दिलाया यौन संबंध का अधिकार

नई दिल्ली, छह सितंबरः भरतनाट्यम नर्तक, पत्रकार, शेफ, होटल कारोबारी, व्यावसायिक प्रतिनिधि जैसी विभिन्न हस्तियों के साथ आने और संघर्ष करने से आज अंतत: इतिहास बदल गया उच्चतम न्यायालय ने सहमति से समलैंगिक यौन संबंध को अपराध के दायरे से बाहर करने का फैसला दिया। इस संघर्ष में शामिल पांच कार्यकर्ताओं का संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है-

नवतेज जौहर 

नर्तक और मानवाधिकार कार्यकर्ता जौहर ने अन्य कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के साथ मिलकर 2016 में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने की दिशा में प्रयास शुरू किया और धारा 377 के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में याचिका दायर की। जौहर ने अपने यौन झुकाव को अपनी पहचान नहीं बनने दिया और अपने पेशे में खास मुकाम बनाया। 59 वर्षीय जौहर और उनके साथी एवं पेशे से पत्रकार सुनील मेहरा (62) ने एक वकील दोस्त की सलाह पर कानूनी लड़ाई शुरू की। 

सुनील मेहरा 

वह ना सिर्फ एक जाने-माने पत्रकार हैं, बल्कि एक अभिनेता के साथ दस्तानगोई में महारत रखते हैं। वास्तव में उनकी मुलाकात उनके साथी जौहर से उस समय हुई थी, जब वह भरतनाट्यम नर्तक का जीवन परिचय लिखने के लिए उनसे मिले। दोनों 25 साल से एकसाथ रह रहे हैं। मेहरा और उनके साथी ने शुरू में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध के दायरे से बाहर करने की लड़ाई में सक्रिय रूप से हिस्सा नहीं लिया। हालांकि वकील मित्र मेनका गुरुस्वामी की सलाह पर उन्होंने सक्रियता दिखायी। इसके बाद से मेहरा इस लड़ाई के प्रमुख किरदार के रूप में उभरे।

रितु डालमिया 

उच्चतम न्यायालय के वर्ष 2013 के एक फैसले में न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी ने कहा था कि वह कभी एक समलैंगिक व्यक्ति से नहीं मिले हैं। इस बयान ने जानी मानी शेफ रितु डालमिया को इस मुद्दे को लेकर संघर्ष करने को उद्वेलित कर दिया। बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले पर डालमिया ने एक समाचार वेबसाइट से कहा कि ‘मेरे चेहरे पर मुस्कान तैर गयी है। यह राहत का क्षण है।’ कोलकाता के एक मारवाड़ी कारोबारी परिवार में जन्मीं डालमिया 16 साल की उम्र में संगमरम्मर पत्थर के पारिवारिक कारोबार से जुड़ गयीं। वह दिल्ली के लोकप्रिय इतालवी रेस्तरां दिवा की सह-मालिक हैं। 

अमन नाथ 

नाथ (61) प्रख्यात लेखक हैं और वास्तुविद हैं। वह विरासत होटलों के भारत के लोकप्रिय चेन नीमराना समूह के सह-संस्थापक और सह-अध्यक्ष हैं। नयी दिल्ली में जन्मे और नाथ ने दिल्ली विश्वविद्यालय से मध्यकालीन भारतीय इतिहास में स्नातकोत्तर की पढ़ाई की। 

केशव सूरी 

केशव सूरी ललित सूरी हॉस्पिटालिटी ग्रुप के कार्यकारी निदेशक हैं। 33 वर्षीय केशव दिवंगत होटल कारोबारी ललित सूरी के बेटे हैं। समूह का नाइट क्लब किट्टी सू समावेशी समाज के निर्माण की दिशा में काम करता है और दिव्यांगों एवं एलजीबीटीक्यूआई समाज के लोगों को नौकरी देने के लिए जाना जाता है। सूरी ने अदालत में अपनी याचिका में कहा कि उनके एक दशक से एक अन्य व्यस्क पुरूष से संबंध हैं।

Web Title: Those five heroes whose struggle has changed history, right to sex given to LGBT

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