ठेके पर खेती में किसानों की जमीन हड़पे जाने का कोई सवाल ही नहीं: प्रधानमंत्री मोदी

By भाषा | Updated: December 25, 2020 19:11 IST2020-12-25T19:11:46+5:302020-12-25T19:11:46+5:30

There is no question of farmers grabbing land in contract farming: PM Modi | ठेके पर खेती में किसानों की जमीन हड़पे जाने का कोई सवाल ही नहीं: प्रधानमंत्री मोदी

ठेके पर खेती में किसानों की जमीन हड़पे जाने का कोई सवाल ही नहीं: प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को उन आशंकाओं को दूर किया कि केंद्र द्वारा लागू कृषि कानूनों के तहत ठेके पर खेती (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग) के तहत निजी कंपनियां किसानों की जमीन हड़प सकती हैं। इसके साथ ही उन्होंने सात राज्यों के किसानों के साथ बातचीत के दौरान नए कानूनों से लाभ के बारे में कहानियां सुनीं।

प्रधानमंत्री मोदी ने पीएम-किसान योजना के तहत नौ करोड़ किसानों को 18,000 करोड़ रुपये की राशि जारी करने के बाद अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, ओडिशा और हरियाणा के किसानों के साथ बातचीत की।

प्रधानमंत्री के साथ अपनी बातचीत के दौरान सात किसानों ने अपनी सफलता की कहानियां साझा कीं और हाल ही में लागू कृषि कानूनों से हुए लाभों को रेखांकित किया। उन्होंने ठेके पर खेती समझौतों के तहत निजी कंपनियों के साथ काम करने के अपने अच्छे अनुभवों को भी साझा किया।

मोदी ने किसान गगन परीन के साथ बातचीत करते हुए कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश में बैठे हुए, आप निश्चिंत हैं कि आपकी जमीन सुरक्षित है। लेकिन कुछ लोग यह भ्रम फैला रहे हैं कि जो लोग फसलों की बिक्री के लिए किसी कंपनी के साथ अनुबंध (समझौता) करते हैं, वे अपनी जमीन भी खो देंगे। कितने सारे झूठ फैलाए जा रहे हैं। मुझे खुशी है कि आपने अपना अनुभव साझा किया है।”

मोदी ने कहा कि कुछ नेता, अपने एजेंडे के लिए झूठ फैला रहे हैं कि कानूनों से किसान प्रभावित होंगे।

परीन ने प्रधानमंत्री से कहा कि 446 जैविक उत्पादकों के साथ गठित नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) ने बेंगलुरु और दिल्ली में अपनी उपज का विपणन शुरू किया है। हाल ही में, एफपीओ ने जैविक अदरक की आपूर्ति के लिए एक निजी कंपनी के साथ समझौता किया है।’’

जब प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि क्या निजी कंपनियों ने जमीन या फसल के लिए कोई समझौता किया है तो परीन ने कहा, "हमने तैयार उत्पादों के लिए समझौता किया है, न कि जमीन के लिए।"

परीन ने यह भी कहा कि उन्हें पीएम-किसान योजना के तहत 6,000 रुपये मिले हैं और उन्होंने उस पैसे का इस्तेमाल खाद खरीदने और मजूदरी लागत को पूरा करने के लिए किया।

नए कृषि कानूनों से हुए लाभों को साझा करते हुए मध्य प्रदेश के धार जिले के किसान मनोज पाटेकर ने बताया कि नए कानूनों से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए विकल्प मिले हैं।

मनोज ने कहा, ‘‘नए कानूनों के कारण, हमें नए अवसर मिले हैं। इससे पहले केवल एक ही मंडी थी, अब हम निजी कंपनियों को बेच सकते हैं। इस साल, मैंने आईटीसी ई-चौपाल को 85 क्विंटल खरीफ सोयाबीन की फसल 4,800 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बेची।’’

पाटेकर ने कहा कि ई-चौपाल में उन्हें उपज की दरें एक दिन पहले मिल गईं और उनकी उपज की गुणवत्ता की जांच उनके सामने की गयी तथा भुगतान तुरंत कर दिया गया।

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