"राजनीति में न तो कोई पक्का दोस्त होता है और न दुश्मन", अजित पवार ने बताया कि क्यों छोड़ी चाचा शरद पवार की सरपरस्ती

By आशीष कुमार पाण्डेय | Updated: August 28, 2023 08:46 IST2023-08-28T08:43:13+5:302023-08-28T08:46:06+5:30

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजीत पवार ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन और दोस्त नहीं होता है।

"There is neither a true friend nor an enemy in politics", Ajit Pawar told why he left uncle Sharad Pawar's patronage | "राजनीति में न तो कोई पक्का दोस्त होता है और न दुश्मन", अजित पवार ने बताया कि क्यों छोड़ी चाचा शरद पवार की सरपरस्ती

फाइल फोटो

Highlightsअजीत पवार ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन और दोस्त नहीं होता हैवो गठबंधन सरकार में इस कारण से शामिल हुए ताकि वो लोगों की समस्याओं को हल कर सकेंपवार ने कहा कि मेरी राजनीति राज्य के विकास के लिए है, सभी धर्म और मजहब के लोग हमारे हैं

बीड:महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने कहा कि राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन और दोस्त नहीं होता है। इसके साथ ही पवार ने यह भी कहा कि वो एनसीपी के एक धड़े को लेकर भाजपा और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के गठबंधन सरकार में इस कारण से शामिल हुए ताकि वो लोगों की समस्याओं को हल कर सकें।

अजित पवार ने बीते रविवार को बीड में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए कहा, "हम लोगों की समस्याओं को हल करने के लिए बीजेपी, शिंदे के नेतृत्व वाली सेना के साथ आये। हमारी राजनीति राज्य के विकास के लिए है। राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन नहीं है और न ही कोई स्थायी दोस्त है। हम महाराष्ट्र की जनता को बताना चाहते हैं कि भले ही हम इस गठबंधन में हैं, लेकिन सभी जातियों और धर्मों के लोगों की रक्षा करना हमारा पहला कर्तव्य है।"

उन्होंने कहा, "हम किसानों के हित के लिए हमेशा काम करते रहेंगे। खेतों में पानी के बिना खेती नहीं होती। जब मैं राज्य में जल संसाधन था, तब मैंने बहुत काम किया।"

अजीत पवार ने कहा कि उन्होंने राज्य के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे को दिल्ली जाकर राज्य में प्याज के हालिया मुद्दे पर प्रमुख केंद्रीय नेताओं से मिलने के लिए कहा है।

पवार ने कहा, "जब प्याज का मुद्दा आया तो कई लोगों के फोन मेरे पास आए। विपक्ष हमेशा गलत जानकारी देता है। मैंने धनंजय को दिल्ली जाने के लिए कहा। धनंजय गये और केंद्र सरकार से अधिकतम मदद का अनुरोध किया। गृह मंत्री अमित शाह ने तुरंत 24 रुपये प्रति किलोग्राम में 2 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदा।"

इससे पहले महाराष्ट्र कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क बढ़ाने के केंद्र सरकार के हालिया फैसले को "किसान विरोधी" करार दिया।

पटोले ने कहा, "वे हमारे किसानों से झूठ बोल रहे हैं। मेरा सवाल उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और पीयूष गोयल से है, आप निर्यात कर क्यों बढ़ाते हैं? अगर भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ प्याज तुरंत न खरिदे तो वह बासी हो जाता है और उससे किसान परेशान होते हैं। उनका नुकसान होता है।”

मालूम हो कि हाल ही में केंद्र सरकार ने प्याज पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया है, जिसके कारण राज्य के प्याज किसानों ने सोमवार को महाराष्ट्र के नासिक जिले में विरोध प्रदर्शन किया।

इस संबंध में वित्त मंत्रालय द्वारा 19 अगस्त को जारी एक अधिसूचना में कहा गया है कि उन्होंने 31 दिसंबर, 2023 तक प्याज पर 40 प्रतिशत निर्यात शुल्क लगाया है। निर्यात शुल्क उन रिपोर्टों के बीच आया है कि सितंबर में प्याज की कीमतें बढ़ने की संभावना है। इससे पहले 11 अगस्त को केंद्र सरकार ने अपने बफर स्टॉक से मुख्य सब्जी जारी करना शुरू किया था।

केंद्र सरकार ने पहले फैसला किया था कि वह 2023-24 सीजन में बफर स्टॉक के रूप में 3 लाख टन प्याज रखेगी। 2022-23 में सरकार ने 2.51 लाख टन प्याज बफर स्टॉक के तौर पर रखा है।

यदि कम आपूर्ति वाले मौसम के दौरान दरें काफी बढ़ जाती हैं, तो किसी भी आपात स्थिति को पूरा करने और मूल्य स्थिरीकरण के लिए बफर स्टॉक बनाए रखा जाता है। इस बीच केंद्र सरकार ने बीते मंगलवार को महाराष्ट्र में किसानों से दो लाख टन अतिरिक्त प्याज की खरीदा था।

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