दिल्ली की अदालतों में कामकाज को लेकर कुछ खास बदलाव देकर गया साल 2020

By भाषा | Published: December 29, 2020 01:39 PM2020-12-29T13:39:48+5:302020-12-29T13:39:48+5:30

The year 2020 went through some special changes in the functioning of Delhi's courts | दिल्ली की अदालतों में कामकाज को लेकर कुछ खास बदलाव देकर गया साल 2020

दिल्ली की अदालतों में कामकाज को लेकर कुछ खास बदलाव देकर गया साल 2020

(ऊषा रानी/उदयन किशोर)

नयी दिल्ली, 29 दिसंबर दिल्ली की अदालतों को साल 2020 कुछ खास बदलाव देकर गया, जिन्होंने अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की काट निकाली और दिल्ली के सांप्रदायिक दंगों और तबलीगी जमात के विदेशी सदस्यों के वीजा नियमों के कथित उल्लंघन जैसे महत्वपूर्ण मामलों की वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये सुनवाई की।

वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये सुनवाइयों का दौर शुरू होने से कुछ दिन पहले एक निचली अदालत को निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले के दोषियों की विभिन्न अर्जियों के चलते उन्हें फांसी पर लटकाने की तिथि में कई बार बदलाव करना पड़ा। संबंधित न्यायाधीश ने इन अर्जियों को ''देरी करने का हथकंडा'' करार दिया। आखिरकार 20 मार्च सुबह साढ़े पांच बजे उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।

अदालत ने उनकी सभी अर्जियों पर सुनवाई करते हुए कहा कि एक दोषी को अपने सभी कानूनी अधिकारों का इस्तेमाल करने का अधिकार है और कोई भी अदालत उनके मौलिक अधिकारों को नजरअंदाज नहीं कर सकती।

कोरोना वायरस के चलते 25 मार्च को लॉकडाउन की घोषणा के बाद डिजिटल माध्यमों से सुनवाई के दौरान अदालतों में कुछ शुरु में दिक्कतें भी पेश आईं। इस दौरान वकीलों को वीडियो कान्फ्रेंस और इलेक्ट्रॉनिक तरीके से अदालतों में मामले को रखने में परेशानियों को सामना करना पड़ा। इसके अलावा अदालतों की वेबसाइट पर दैनिक आदेश अपलोड नहीं हो पा रहे थे। साथ ही न्यायधीशों और वकीलों के सामने नेटवर्क की समस्या भी पेश आ रही थी। इसके चलते उन्हें वीडियो कान्फ्रेंस और अन्य सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिये अदालतों में आना पड़ा।

निचली अदालतों के कामकाज पर भी कोविड-19 संक्रमण का असर पड़ा। एक बार तो उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों से संबंधित मामलों की सुनवाई कर रहे न्यायधीश से जुड़े सभी कर्मचारी प्रभावित हुए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया।

बहरहाल, न्यायाधीश और वकील सभी दिक्कतों का हल निकालने में सक्रिय रहे। एक न्यायाधीश और अदालत के कर्मचारियों के कोरोना वायरस से संक्रमित पाए जाने के बाद अदालत कक्षों और चैंबरों को सील कर दिया गया। इसके बाद उन्हें संक्रमण मुक्त किया गया। संक्रमितों के संपर्क में आए लोगों का पता लगाने और उन्हें पृथक करने का परिपत्र भी जारी किया गया।

सितंबर के बाद से लगभग एक चौथाई अदालतों में अदालत कक्षों में सुनवाई हो रही है। कुल मिलाकर कोरोना वायरस महामारी फैलने के बाद कई बाधाओं के बीच अदालतों में कामकाज जारी रहा और यह साल ऐसी परिस्थितियों में कामकाज के तरीके को लेकर कुछ खास बदलाव से रूबरू करा गया।

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