पंजाब विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग ने विदेशी भाषाओं के विभाग के साथ अपने विलय पर एतराज जताया

By भाषा | Updated: September 29, 2019 05:14 IST2019-09-29T05:14:27+5:302019-09-29T05:14:27+5:30

विश्वविद्यालय के प्रस्ताव के अनुसार विलय का उद्देश्य छोटे-छोटे विभागों के "बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों को साझा करके अकादमिक प्रदर्शन" को बेहतर बनाना है।

The Urdu department at Punjab University objected to its merger with the Department of Foreign Languages | पंजाब विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग ने विदेशी भाषाओं के विभाग के साथ अपने विलय पर एतराज जताया

पंजाब विश्वविद्यालय में उर्दू विभाग ने विदेशी भाषाओं के विभाग के साथ अपने विलय पर एतराज जताया

पंजाब विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग ने उर्दू को विदेशी भाषाओं के साथ जोड़ने के प्रस्ताव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उर्दू विदेशी नहीं बल्कि हिंदी और पंजाबी की तरह भारतीय भाषा है। उर्दू विभाग के समन्वयक अली अब्बास ने शनिवार को कहा कि विश्वविद्यालय ने हाल ही में रूसी, फ्रेंच, जर्मन, चीनी और तिब्बती भाषाओं के विलय के बाद उर्दू विभाग को विदेशी भाषा विद्यालय का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव रखा है।

अब्बास ने पंजाब विश्वविद्यालय के 'डीन यूनिवर्सिटी इंस्ट्रक्शन' (डीयूआई) को लिखे एक पत्र में कहा, "उर्दू का जन्म 13वीं शताब्दी के पहले दो दशकों में भारत में हुआ और अमीर खुसरो ने इस बढ़ावा देकर भारतीय संस्कृति में ढाला। तब से लेकर अब तक उर्दू और हिंदी भाषाओं ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन दोनों भाषाओं के अलावा बाबा फरीद गंज शाकर ने पंजाबी को विकास के रास्ते पर आगे बढ़ाया।"

पत्र में कहा गया है, "विभिन्न तत्वों द्वारा एक "गलत धारणा" पैदा की जा रही है कि उर्दू एक विदेशी भाषा है, जोकि सच से बहुत दूर है।" उन्होंने कहा, "उर्दू, पंजाबी और हिंदी भारत की तीन प्रमुख भाषाएं हैं जिन्हें बाद में समय-समय पर सरकारी भाषाओं का दर्जा दिया गया।" विश्वविद्यालय के प्रस्ताव के अनुसार विलय का उद्देश्य छोटे-छोटे विभागों के "बुनियादी ढांचे और मानव संसाधनों को साझा करके अकादमिक प्रदर्शन" को बेहतर बनाना है। कुलपति द्वारा गठित 15 सदस्यीय समिति छोटे विभागों के प्रस्तावित विलय पर 30 सितंबर को अंतिम फैसला लेगी।

Web Title: The Urdu department at Punjab University objected to its merger with the Department of Foreign Languages

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