दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका शीर्ष अदालत में दायर याचिका का कॉपी-पेस्ट है, अदालत ने चेताया

By भाषा | Published: September 23, 2021 05:14 PM2021-09-23T17:14:04+5:302021-09-23T17:14:04+5:30

The petition against the appointment of Asthana to the post of Delhi Police Commissioner is a copy-paste of the petition filed in the apex court, warns the court. | दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका शीर्ष अदालत में दायर याचिका का कॉपी-पेस्ट है, अदालत ने चेताया

दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ याचिका शीर्ष अदालत में दायर याचिका का कॉपी-पेस्ट है, अदालत ने चेताया

नयी दिल्ली, 23 सितंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी राकेश अस्थाना की दिल्ली पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को बृहस्पतिवार को ‘कॉपी-पेस्ट’ बताया और ऐसा करने वाले को चेतावनी दी कि वह भविष्य में ऐसा कुछ नहीं करें।

अदालत ने इस पर भी नाराजगी जतायी कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता याचिका में लिखी बातों को समझा पाने में असमर्थ थे, जोकि कथित रूप से नकल की गयी थीं।

मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि इससे पहले उच्चतम न्यायालय में दायर दो याचिकाओं से पूरी की पूरी याचिका नकल की गई है, यहां तक कि अर्द्धविराम और पूर्णविराम भी। पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता को कोई आवेदन करना है तो वह स्वतंत्र रूप से करें।

पीठ ने कहा कि जिस वकील की याचिका से इसे नकल किया गया है वह अपने मुकदमे की पैरवी करने के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

अदालत अस्थाना की नियुक्ति के खिलाफ अधिवक्ता सद्रे आलम की जनहित याचिका और गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) की हस्तक्षेप अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। इस संगठन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने आवेदन दिया है। इसी संगठन ने अस्थाना की नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय में भी चुनौती दी है।

पीठ ने कहा, ‘‘आपने यह सारी बातें एक अधिवक्ता (प्रशांत भूषण) की अर्जी से नकल की हैं। अगर आप नकल कर रहे हैं तो आप पांच फीसदी करते हैं और 95 फीसदी अपनी ओर से लिखते हैं। यहां 97 फीसदी नकल है, यहां तक कि अर्द्धविराम और पूर्णविराम तक भी। इस बार हम कुछ नहीं कर रहे हैं, लेकिन भविष्य में ऐसा नहीं करें।’’

इसपर याचिका दायर करने वाले की ओर से पेश हुए अधिवक्ता बी. एस. बग्गा ने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि यह आरोप कहां से लग रहे हैं।’’

इससे पहले, भूषण ने कहा था कि आलम की याचिका दुर्भावनापूर्ण है और उच्चतम न्यायालय में लंबित उनकी याचिका की यह पूरी तरह से नकल है।

केन्द्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी भूषण से सहमति जतायी और कहा कि नकल की इस प्रवृत्ति की निन्दा की जानी चाहिए।

सुनवाई के दौरान जब बग्गा ने अंतर-काडर स्थानांतरण के संबंध में अपना पक्ष रखना शुरू किया तो मुख्य न्यायाधीश ने उनसे सवाल किया कि ‘सुपर टाइम स्केल’ से उनका क्या तात्पर्य है।

अदालत ने उनसे बार-बार यही सवाल किया लेकिन वह समझाने में असफल रहे और इसके लिए समय देने का अनुरोध किया।

पीठ ने कहा, ‘‘हम आपसे अंतिम बार पूछ रहे हैं, हम याचिका खारिज कर देंगे। समस्या यह है कि आपने याचिका के मेमो से इसे नकल किया है। बिना समझे आप सिर्फ पढ़ रहे हैं। अब हम अतिरिक्त स्पष्टीकरण चाहते हैं। ’सुपर टाइम स्केल क्या है।’’

भूषण को संबोधित करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘ आप लोग अपनी प्रतियां हर जगह वितरित करते हैं। ऐसा मत कीजिए। वह यह नहीं जानते कि सुपर टाइम स्केल क्या है। आप भलमनसाहत में यह कर रहे हैं लेकिन यह एक हथियार बन गया है। मैंने यह सवाल जानबूझ कर पूछा। हमें इनसे क्या सहयोग मिलेगा? दिल्ली उच्च न्यायालय में क्या हमें इस तरीके से सहयोग मिल रहा है।’’

पीठ ने आदेश लिखाते हुए कहा, ‘‘मामले में पेश वकील ने अंतर-काडर स्थानांतरण पर बहस शुरू की। वह बगैर किसी स्पष्टीकरण के पैराग्राफ पढ़ रहे थे। जब सुपर टाइम स्केल शब्द पढ़ा गया तो हमने एक सवाल पूछा कि क्या वह इसका स्प्ष्टीकरण दे सकते हैं या नहीं लेकिन याचिकाकर्ता के वकील ऐसा करने में असमर्थ कि सेवा मामलों में सुपर टाइम स्केल का मतलब क्या है।’’

वकील ने समय देने का अनुरोध किया और अदालत ने इसे आगे सुनवाई के लिए 27 सितंबर को सूचीबद्ध कर दिय।

उच्च न्यायालय ने इससे पहले याचिका पर केन्द्र और अस्थाना को नोटिस जारी किये थे। याचिकाकर्ता ने अस्थाना को दिल्ली का पुलिस आयुक्त नियुक्त करने और अंतर-काडर प्रतिनियुक्ति देने और सेवाकाल में विस्तार निरस्त करने का गृह मंत्रालय का 27 जुलाई का आदेश निरस्त करने का अनुरोध किया था।

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Web Title: The petition against the appointment of Asthana to the post of Delhi Police Commissioner is a copy-paste of the petition filed in the apex court, warns the court.

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