सुमना हादसे में मरने वालों की संख्या 11 हुई, 384 मिले सुरक्षित
By भाषा | Published: April 25, 2021 06:54 PM2021-04-25T18:54:36+5:302021-04-25T18:54:36+5:30
गोपेश्वर, 25 अप्रैल उत्तराखंड के चमोली जिले में भारत-चीन सीमा के निकट नीति घाटी के सुमना में हुए हिमस्खलन में मृतकों की संख्या रविवार को 11 तक पहुंच गई । मरने वाले सभी झारखंड के रहने वाले थे ।
चमोली की जिलाधिकारी स्वाति एस भदौरिया ने बताया कि हालांकि, अब तक 384 अन्य लोग सुरक्षित मिल चुके हैं ।
उन्होंने बताया कि शुक्रवार को हुए हादसे वाली जगह से रविवार को एक और शव बरामद हुआ जिसके साथ ही अब तक कुल 11 व्यक्तियों की मौत की पुष्टि हो चुकी है ।
उन्होंने बताया कि शवों को वायुसेना के दो विमानों से जोशीमठ लाया गया जहाँ उनका पोस्टमार्टम किया जा रहा है ।
मृतकों की पहचान हो गयी है और सभी झारखंड के निवासी हैं । मरने वालों में तारनी सिंह, मनोज थांदर, रोहित सिंह, नियारन कंडुलना, पाल कंडुलना, हनूक कंडुलना, साजेन कंडुलना, मासी दास, राहुल कुमार, निर्मल सैंदिल, सुखराम मुंडा, शामिल हैं ।
इसके अलावा, घटनास्थल से मिले सात घायलों का उपचार किया जा रहा है । इनमें से छह घायल जोशीमठ सेना अस्पताल में भर्ती हैं जबकि दो अन्य को देहरादून रेफर किया गया है ।
क्षति का आंकलन करने के लिए चमोली की जिलाधिकारी स्वाति, पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चैहान और राजस्व टीम ने हैलीकॉप्टर से घटनास्थल पर पहुंचने का प्रयास किया लेकिन सुमना में वह लैंड नहीं कर सका जिसके बाद टीम क्षेत्र का हवाई सर्वेंक्षण कर लौट आई ।
लापता लोगों के बारे में जिलाधिकारी ने कहा कि सीमा सडक संगठन के अधिकारियों से इसके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है । उन्होंने बताया कि जल्द ही घटना के प्रभावितों को सहायता राशि उपलब्ध करा दी जाएगी ।
हिमस्खलन प्रभावित सुमना, मलारी गांव से करीब 25 किलोमीटर दूर है और धौलीगंगा से निकलने वाली दो धाराओं, गिरथीगाड और किओगाठ के संगम पर स्थित है । हिमस्खलन के समय मौके पर सीमा सडक संगठन के मजदूर काम कर रहे थे ।
मौके पर भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल, राज्य आपदा प्रतिवादन बल, जिला प्रशासन और सीमा सडक संगठन की संयुक्त टीम द्वारा तलाश एवं बचाव अभियान चलाया जा रहा है । हालांकि, क्षेत्र में पिछले दिनों हुई भारी बर्फबारी के चलते अभियान में दिक्कत आ रही है ।
स्वाति ने हालांकि कहा कि अभियान लगातार जारी है तथा इसके साथ ही सड़क से बर्फ हटाकर मार्ग खोलने के लिए भी युद्धस्तर पर काम किया जा रहा है।
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