प्रदर्शन करने का अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा धुंधली हो रही है: अदालत

By भाषा | Updated: June 15, 2021 17:40 IST2021-06-15T17:40:23+5:302021-06-15T17:40:23+5:30

The line between right to protest and terrorist activity is getting blurred: Court | प्रदर्शन करने का अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा धुंधली हो रही है: अदालत

प्रदर्शन करने का अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा धुंधली हो रही है: अदालत

नयी दिल्ली,15 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय की छात्र नताशा नरवाल को वर्ष 2020 के दंगा ‘‘साजिश’’मामले में मंगलवार को जमानत दे दी और कहा कि आतंकवाद संबंधी कानून को ‘‘लापरवाही’’ से लागू नहीं किया जा सकता और प्रदर्शन करने का अधिकार तथा आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा धुंधली हो रही है और यदि इस मानसिकता को बल मिला तो यह ‘‘लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा।’’

न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनूप जयराम भंभानी की पीठ ने छात्रा को 50 हजार के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों पर जमानत दी। अदालत ने इस मामले में दो छात्र कार्यकर्ताओं को भी जमानत दी।

छात्रा को राहत देते हुए अदालत ने कहा,‘‘ ऐसा लगता है कि सरकार ने असहमति को दबाने की अपनी बेताबी में प्रदर्शन करने का अधिकार और आतंकवादी गतिविधि के बीच की रेखा धुंधली कर दी तथा यदि इस मानसिकता को बल मिला है तो यह ‘‘लोकतंत्र के लिए एक दुखद दिन होगा। ’’

अदालत ने कहा कि भड़काऊ भाषण, चक्का जाम आयोजित करना और महिलाओं को भड़काने संबंधी आरोप दिखाते हैं कि उसने प्रदर्शन आयोजित करने में हिस्सा लिया लेकिन ऐसा स्पष्ट आरोप नहीं हैं कि उसने हिंसा भड़काई।

गौरलतब है कि नरवाल को मई 2020 में गिरफ्तार किया गया था। उसे अपना पासपोर्ट जमा कराने और निचली अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ने या अभियोजन के गवाहों से संपर्क नहीं करने और साक्ष्यों से छेडछाड नहीं करने के निर्देश दिए गए हैं।

यह मामला दंगा भड़काने के लिए कथित ‘‘साजिश’’ से जुड़ा है, जिसमें पिछले वर्ष उत्तर पूर्व दिल्ली में फरवरी में 53 लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। इस मामले में नरवाल के अलावा17अन्य लोग आरोपी हैं।

अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आरोप पत्र और अभियोजन द्वारा एकत्र की गई सामग्रियों और जिसका उन्होंने जिक्र किया है ,उस पर आधारित इस मामले में पहली नजर में नरवाल के खिलाफ गैर कानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा 15(आतंकवादी गतिविधियां),17(आतंकी गतिविधियों के लिए धन एकत्र करने के लिए दंड) अथवा 18 (साजिश के लिए दंड) के तहत कोई अपराध नहीं बनता है।

यह मामला पिछले साल फरवरी में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगा भड़काने की कथित साजिश से संबंधित है जिसमे कम से कम 53 लोग मारे गये थे और सैकड़ों घायल हो गये थे।

इस मामले में नरवाल और 17 अन्य आरोपी हैं।

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