नयी दिल्ली, 15 दिसंबर तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ अपना रुख कड़ा करते हुए किसान नेताओं ने मंगलवार को कहा कि वे सरकार से इन कानूनों को वापस ‘‘कराएंगे’’ । साथ ही उन्होंने कहा कि उनकी लड़ाई उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां वे इसे जीतने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध’’ हैं।
उन्होंने कहा कि अपनी मांगों के लिए वे बुधवार को दिल्ली और नोएडा के बीच चिल्ला बॉर्डर को पूरी तरह जाम कर देंगे।
सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा, ‘‘सरकार कह रही है कि वह इन कानूनों को वापस नहीं लेगी, हम कह रहे हैं कि हम आपसे ऐसा करवाएंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लड़ाई उस चरण में पहुंच गई है जहां हम मामले को जीतने के लिए प्रतिबद्ध हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम बातचीत से नहीं भाग रहे हैं लेकिन सरकार को हमारी मांगों पर ध्यान देना होगा और ठोस प्रस्ताव के साथ आना होगा।’’
एक अन्य नेता युद्धवीर सिंह ने कहा कि आंदोलनकारी किसान ज्यादा दिनों तक दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहते हैं तो उनका प्रदर्शन और तेज होगा । उन्होंने कहा कि अगर सरकार कुछ और सोच रही है तो वह गलत है।
एक तरफ जहां किसान नेता जब अपना रूख कड़ा कर रहे हैं वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दिल्ली के नजदीक इकट्ठा हुए किसानों को षड्यंत्र के तहत गुमराह किया जा रहा है।
अपने गृह राज्य गुजरात में कुछ विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखने के बाद मोदी ने कहा कि उनकी सरकार नये कृषि कानूनों पर किसानों की चिंताओं का समाधान कर रही है।
सिंघू बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन में किसान नेताओं ने 20 दिसंबर को उन किसानों की याद में देश भर में ‘श्रद्धांजलि दिवस’ मनाने का आह्वान किया जिन्होंने इस आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवा दी।
किसान नेता ऋषिपाल ने कहा कि नवंबर के अंतिम हफ्ते में प्रदर्शन शुरू होने के बाद रोजाना औसतन एक किसान की मौत हुई है।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रदर्शन के दौरान अपना जीवन गंवाने और शहीद होने वाले किसानों के लिए 20 दिसंबर को सुबह 11 बजे से दोपहर एक बजे तक देश के सभी गांवों और तहसील मुख्यालयों में श्रद्धांजलि दिवस का आयोजन किया जाएगा।’’
ऋषिपाल ने कहा, ‘‘सबसे पहले सरकार को तीनों कानूनों को वापस लेना चाहिए, इसके बाद ही किसान वार्ता करेंगे।’’
उन्होंने कहा कि देश भर में 350 जिलों में सोमवार को हुए प्रदर्शन सफल रहे और किसानों ने 150 टोल प्लाजा को ‘नि:शुल्क’ कर दिया।
डल्लेवाल ने कहा कि महिला प्रदर्शनकारियों के लिए भी व्यवस्था की जा रही है। उन्होंने कहा कि अगले तीन-चार दिनों में वे बड़ी संख्या में आ रही हैं और नये कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन में शामिल होने जा रही हैं।
उन्होंने आरोप लगाए कि केंद्र सरकार कृषि संगठनों के बीच विभेद करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है लेकिन उन्होंने मन बना लिया और लड़ाई में एकजुट हैं।
डल्लेवाल ने कहा, ‘‘सरकार कह रही है कि कोरोना वायरस है और इसके अधिकारी संक्रमित हो रहे हैं लेकिन सीमाओं पर बैठे किसान कोरोना वायरस से संक्रमित क्यों नहीं हो रहे हैं ? भगवान हमारे साथ हैं।
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