दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2019 को लोकसभा ने मंजूरी दी

By भाषा | Published: July 3, 2019 06:49 PM2019-07-03T18:49:19+5:302019-07-03T18:49:19+5:30

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि पहले के विधेयक में एक जगह से ‘अनिवार्य’ शब्द हटाने के लिए यह संशोधन किया जा रहा है। इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है और यह विधेयक भी दंत स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में पारदर्शिता से जुड़ा है।

The Dentists (Amendment) Bill, 2019 has been passed in Lok Sabha | दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2019 को लोकसभा ने मंजूरी दी

हर्षवर्धन ने कहा कि जब डेंटल काउंसिल आफ इंडिया बनी तब दंत चिकित्सकों के पंजीकरण के लिये एक रजिस्ट्री भी बनी।

Highlightsदेश के नागरिकों को दंत चिकित्सा सहित बेहतर स्वास्थ्य देने की जरूरत पर और मुख संबंधी स्वास्थ्य व साफ-सफाई पर बल दिया।सांसदों का आह्वान किया कि वे अपने क्षेत्रों में लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए ‘स्वास्थ्य दूत’ की भूमिका निभाएं।

लोकसभा ने बुधवार को दंत चिकित्सक संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी प्रदान कर दी जिसके माध्यम से दंत चिकित्सा अधिनियम 1948 में संशोधन करके भारतीय डेंटल परिषद को और प्रभावी बनाने की पहल की गई है।

विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए विभिन्न दलों के सदस्यों ने देश के नागरिकों को दंत चिकित्सा सहित बेहतर स्वास्थ्य देने की जरूरत पर और मुख संबंधी स्वास्थ्य व साफ-सफाई पर बल दिया। कुछ सदस्यों ने दंत चिकित्सा को स्वास्थ्य बीमा के दायरे में लाये जाने की मांग भी की।

चर्चा का जवाब देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्धन ने कहा कि पहले के विधेयक में एक जगह से ‘अनिवार्य’ शब्द हटाने के लिए यह संशोधन किया जा रहा है। इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार पारदर्शिता के लिए प्रतिबद्ध है और यह विधेयक भी दंत स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में पारदर्शिता से जुड़ा है।

उन्होंने कहा कि भारतीय दंत चिकित्सा परिषद में भ्रष्टाचार को लेकर कुछ सांसदों ने चिंता जताई है, हम भी उनकी चिंता से सहमत हैं और इसीलिए पूरी पारदर्शिता लाई जा रही है। मंत्री ने दंत स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया और सांसदों का आह्वान किया कि वे अपने क्षेत्रों में लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए ‘स्वास्थ्य दूत’ की भूमिका निभाएं।


मंत्री के जवाब के बाद सदन ने ध्वनिमत से विधेयक को मंजूरी दे दी। इससे पहले विधेयक को चर्चा एवं पारित होने के लिये रखते हुए डा. हर्षवर्धन ने कहा कि नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जब से काम करना शुरू किया है तब से पहली बैठक में ही प्रधानमंत्री ने यह तय किया कि जो भी कानून समय के अनुरूप नहीं है या जिनकी प्रासंगिकता समाप्त हो गई है.. उनकी पहचान करके उन्हें या तो समाप्त किया जाए या बदलते समय के अनुरूप बनाया जाए ।

उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में ऐसे अप्रासंगिक या पुराने पड़ चुके 1500 कानूनों को समाप्त किया गया है । काफी संख्या में कानूनों को समय के अनुकूल बनाया गया है । विधेयक के संदर्भ में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ने कहा कि 1948 में जब दंत चिकित्सक अधिनियम बनाया गया था, तब देश में तीन डेंटल कॉलेज थे और दंत चिकित्सक अधिनियम के माध्यम से ही डेंटल काउंसिल आफ इंडिया के गठन की प्रक्रिया शुरू हुई ।

उन्होंने कहा कि इस परिषद के कुछ मूलभूत कार्य थे जिसमें डेंटल शिक्षा, आचार व्यवहार का नियमन, डेंटल शिक्षा का पाठ्यक्रम बनाना और जरूरत के अनुरूप नये कालेजों की स्थापना की सिफारिश करना आदि शामिल हैं ।

हर्षवर्धन ने कहा कि जब डेंटल काउंसिल आफ इंडिया बनी तब दंत चिकित्सकों के पंजीकरण के लिये एक रजिस्ट्री भी बनी। इसमें दो खंड थे जिसमें खंड ‘‘क’’ में योग्यता प्राप्त डाक्टर होते थे और खंड ‘‘ख’’ में ऐसे डाक्टर होते थे जो विभाजन के बाद भारत आए थे और जिनके पास डिग्री तो नहीं थी लेकिन रोजी रोटी के लिये प्रैक्टिस करते थे ।

उन्होंने कहा कि खंड ‘‘क’’ में 2.7 लाख दंत चिकित्सक और खंड ‘‘ख’’ में 979 दंत चिकित्सक हैं । 1972 के बाद से खंड ‘‘ख’’ में किसी दंत चिकित्सक का पंजीकरण नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक में खंड ‘‘क’’ और खंड ‘‘ख’’ के तहत परिषद में सदस्यों की संख्या को आज की स्थिति में समतुल्य बनाने के लिये यह संशोधन विधेयक लाया गया है ।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि दंत चिकित्सा अधिनियम 1948 की धारा 3 भारत में दंत चिकित्सा शिक्षा और दंत चिकित्सा व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिये भारतीय दंत चिकित्सा परिषद का प्रावधान किया गया है। इसकी धारा 31 यह उपबंध करती है कि परिषद, भारतीय दंत चिकित्सा रजिस्टर के रूप में ज्ञात दंत चिकित्सकों का रजिस्टर बनायेगी जिसमें दंत चिकित्सकों की सभी राज्य रजिस्टर की प्रविष्टियां होती हैं ।

दंत चिकित्सा के व्यवसाय को भाग ‘‘क’’ और भाग ‘‘ख’’ में रखने का उल्लेख है । भाग ‘‘ख’’ के अधीन पंजीकरण इस अधिनियम के प्रारंभ से पूर्व की तारीख अर्थात 29 मार्च 1948 से उन व्यक्तियों के लिये उपयोग किया गया था जो विभाजन के दौरान विस्थापित हुए थे और 14 अप्रैल 1957 के बाद तथा 25 मार्च 1971 से पहले बांग्लादेश से विस्थापित हुए थे अथवा बर्मा (म्यामां) या सीलोन से प्रत्यावर्तित हुए थे ।

इसमें कहा गया है कि फिर भी वर्ष 1972 के बाद कोई व्यक्ति भाग ‘‘ख’’ में पंजीकृत नहीं किया गया है । भाग ‘‘क’’ में पंजीकृत 2.7 लाख पंजीकृत डाक्टरों की तुलना में भाग ‘‘ख’’ में लगभग 950 दंत चिकित्सक हैं । इसमें प्रावधान है कि केंद्र सरकार परिषद में छह सदस्यों को मनोनीत करती है जिनमें से कम से कम दो राज्य रजिस्टर के भाग ख में पंजीकृत दंत चिकित्सक होंगे ।

अधिनियम में चार सदस्यों के राज्य दंत चिकित्सा परिषद और दो सदस्यों वाले संयुक्त राज्य दंत चिकित्सा परिषद के गठन का प्रावधान है जो राज्य रजिस्टर के भाग ‘‘ख’’ में पंजीकृत दंत चिकित्सकों द्वारा स्वयं में से निर्वाचित किये गए हों । प्रस्तावित दंत चिकित्सा संशोधन विधेयक 2019 का मकसद परिषद की सदस्यता से संबंधित अधिनियम की धारा 3 के खंड ‘‘च’’ का संशोधन करना है जिसके भाग ‘‘ख’’ में पंजीकृत कम से कम दो सदस्यों का नाम निर्देशन के लिये उपबंध का लोप किया जा सके । 

Web Title: The Dentists (Amendment) Bill, 2019 has been passed in Lok Sabha

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