तटरक्षक बल को ताकत, अब किसी भी पोत पर जाने, उस पर सवार होने, उसकी तलाशी लेने और उसे जब्त करने का अधिकार मिला
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 5, 2019 03:28 PM2019-12-05T15:28:35+5:302019-12-05T15:28:35+5:30
तटरक्षक बलों को अब तटरक्षक कानून के तहत भारत के समुद्री क्षेत्र में अपराधों में लिप्त किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और किसी भी पोत पर सवार होने एवं उसकी तलाशी लेने का अधिकार दिया गया है। रक्षा सचिव अजय कुमार ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
तटरक्षक बल अब भारत के समुद्री क्षेत्र में अपराधों में लिप्त किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकते हैं, किसी भी पोत पर सवार हो सकते हैं, उसे रोक सकते हैं या तलाशी ले सकते हैं।
रक्षा मंत्रालय की अधिसूचना में यह जानकारी दी गई। तटरक्षक बल के एक अधिकारी ने बताया कि इससे पहले सीमा शुल्क कानून और एनडीपीएस कानून के तहत पोतों में सवार होने और उन्हें रोकने का अधिकार समुद्री सुरक्षा एजेंसी के पास था लेकिन सरकार के दो दिसंबर को जारी नए आदेश के तहत वह तटरक्षक कानून के तहत भी ये गतिविधियां कर सकता है।
तटरक्षक बलों को अब तटरक्षक कानून के तहत भारत के समुद्री क्षेत्र में अपराधों में लिप्त किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने और किसी भी पोत पर सवार होने एवं उसकी तलाशी लेने का अधिकार दिया गया है। रक्षा सचिव अजय कुमार ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
एक तटरक्षक अधिकारी ने बताया कि पहले समुद्री सुरक्षा एजेंसी को भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) से गुजरने वाले किसी पोत पर सवार होने का अधिकार नहीं था। कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘भारतीय तटरक्षक को सशक्त बनाते और तटीय सुरक्षा बढ़ाते हुए रक्षा मंत्रालय ने अधिसूचना जारी करके तटरक्षक को ईईजेड और उसके ‘महाद्वीपीय शेल्फ’ में संदेहास्पद पोतों ‘पर जाने, उन पर सवार होने, उनकी तलाशी लेने और उन्हें जब्त करने’ का अधिकार दिया है।’’
अधिसूचना में कहा गया कि तटरक्षक कानून, 1978 के तहत केंद्र सरकार ‘‘तटरक्षक बल के हर सदस्य’’ को ‘‘किसी भी ऐसे पोत पर जाने, उस पर सवार होने, उसकी तलाशी लेने और उसे जब्त करने, या किसी भी व्यक्ति को गिरफ्तार करने, या किसी भी ऐसे कृत्रिम द्वीप या तैरती वस्तु या जल के नीचे किसी भी चीज को जब्त करने’’ का अधिकार देती है जिसके किसी अपराध में शामिल होने का संदेह हो। इससे पहले तटरक्षक ईईजेड में पोतों में सवार होने या उन्हें जब्त करने के लिए सीमा शुल्क कानून और एनडीपीएस कानून और अन्य प्रासंगिक कानूनों का इस्तेमाल करता था।
अधिकारियों ने बताया कि इसे आवश्यक कानूनी सर्मथन नहीं था और कई मामले अदालत में ही गिर जाते थे। इसके अलावा कानून से बचने के कई रास्ते थे जिनका इस्तेमाल कर पोत कंपनियां बिना किसी अधिकार के पोत को रोकने पर तटरक्षक बल के खिलाफ मामला दर्ज सकती थीं। एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि समुद्री सुरक्षा बल क्षेत्रीय जल, महाद्वीपीय शेल्फ, विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र और अन्य समुद्री क्षेत्र अधिनियम, 1976 के तहत ज्यादा अधिकार दिए जाने की 2009 से मांग कर रहा था ताकि उसके कर्मी संदिग्ध पोत पर सवार हो सकें और उनकी तलाशी ले सकें।