मुख्यमंत्री के ‘धरने’ से आरोपियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होनी चाहिए: न्यायालय

By भाषा | Updated: May 25, 2021 21:42 IST2021-05-25T21:42:13+5:302021-05-25T21:42:13+5:30

The Chief Minister's 'dharna' should not affect the personal freedoms of the accused: Court | मुख्यमंत्री के ‘धरने’ से आरोपियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होनी चाहिए: न्यायालय

मुख्यमंत्री के ‘धरने’ से आरोपियों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होनी चाहिए: न्यायालय

नयी दिल्ली, 25 मई उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि नारद घूसकांड में पश्चिम बंगाल के चार नेताओं की सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्य के कानून मंत्री के धरने को वह उचित नहीं मानता है और इस तरह के प्रदर्शन के कारण आरोपियों तथा उनकी निजी स्वतंत्रता प्रभावित नहीं होनी चाहिए।

शीर्ष न्यायालय ने जांच एजेंसी को कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ दायर याचिका वापस लेने की अनुमति देते हुए यह स्पष्ट कर दिया कि उसने मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी नहीं की है।

उल्लेखनीय है कि उच्च न्यायालय ने तृणमूल कांग्रेस के तीन नेताओं समेत चार नेताओं को घर में नजरबंद करने की इजाजत दी थी।

न्यायमूर्ति विनीत शरण तथा न्यायमूर्ति बी आर गवई की अवकाशकालीन पीठ ने कहा, ‘‘हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि धरनों को हम उचित नहीं मानते। लेकिन यदि मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) या कानून मंत्री कानून को अपने हाथों में लेते हैं तो इससे आरोपी क्यों परेशानी उठाए। कानून को अपने हाथों में लेने वाले लोगों के खिलाफ आप कार्रवाई कर सकते हैं।’’

पीठ ने कहा कि ‘‘सबसे पहले जो देखा जाना चाहिए वह है व्यक्ति की आजादी’’ और इसे अन्य मुद्दों के साथ नहीं जोड़ा जा सकता मसलन कि मुख्यमंत्री का धरना, सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी के खिलाफ सार्वजनिक प्रदर्शन। इसके साथ ही पीठ ने सीबीआई को अपनी अपील वापस लेने की अनुमति दे दी।

सुनवाई के प्रारंभ में सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत से अनुरोध किया कि इस मामले को आपराधिक वाद में जमानत को रद्द करने की सीबीआई की याचिका के तौर पर नहीं देखा जाए। उन्होंने कहा कि यह मामला इस तथ्य के मद्देनजर न्याय प्रणाली में जनता के विश्वास के क्षरण के व्यापक मुद्दे से संबंधित है कि किसी राज्य की मुख्यमंत्री जांच एजेंसी को काम करने से रोकने के लिए ‘धरने’ पर बैठ गयीं।

उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग तब तक सीबीआई अदालत परिसर से नहीं गये जब तक आरोपियों को जमानत नहीं दे दी गयी।

मेहता ने कहा, ‘‘इस राज्य में ऐसा अक्सर होता है। मुख्यमंत्री आरोपियों की मदद के लिए थानों में चली जाती हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: The Chief Minister's 'dharna' should not affect the personal freedoms of the accused: Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे