संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा, व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत: मोदी

By भाषा | Published: November 10, 2020 04:27 PM2020-11-10T16:27:34+5:302020-11-10T16:27:34+5:30

The basic goal of the United Nations is still incomplete, a complete change in the system is needed: Modi | संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा, व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत: मोदी

संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा, व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत: मोदी

नयी दिल्ली, 10 नवंबर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है और कोविड-19 महामारी की आर्थिक तथा सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व को उसकी व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन की अपेक्षा है।

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के शिखर सम्मेलन को वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से संबोधित करते हुए मोदी ने एससीओ के एजेंडे में द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयासों को ‘‘दुर्भाग्यपूर्ण’’ करार दिया और कहा कि भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार काम करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र ने अपने 75 वर्ष पूरे किए हैं। लेकिन अनेक सफलताओं के बाद भी संयुक्त राष्ट्र का मूल लक्ष्य अभी अधूरा है। महामारी की आर्थिक और सामाजिक पीड़ा से जूझ रहे विश्व की अपेक्षा है कि संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन आए।’’

उन्होंने आज की वैश्विक वास्तविकताओं को दर्शाने वाले और सभी हितधारकों की अपेक्षाओं, समकालीन चुनौतियों तथा मानव कल्याण जैसे विषयों पर चर्चा के लिए ‘‘बहुपक्षवाद’’ की आवश्यकता पर बल दिया और उम्मीद जताई कि इस प्रयास में एससीओ के सदस्य राष्ट्रों का पूर्ण समर्थन मिलेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अभूतपूर्व महामारी के इस अत्यंत कठिन समय में भी भारत के फार्मा उद्योग ने 150 से अधिक देशों को आवश्यक दवाएं भेजी हैं।

उन्होंने भरोसा दिया कि दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन उत्पादक देश के रूप में भारत अपनी वैक्सीन उत्पादन और वितरण क्षमता का उपयोग इस संकट से लड़ने में पूरी मानवता की मदद करने के लिए करेगा।

मोदी ने कहा कि भारत का शांति, सुरक्षा और समृद्धि पर दृढ़ विश्वास है और उसने हमेशा आतंकवाद, अवैध हथियारों की तस्करी, मादक द्रव्य और धन शोधन के विरोध में आवाज उठाई है।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत एससीओ चार्टर में निर्धारित सिद्धांतों के अनुसार, एससीओ के तहत काम करने की अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ रहा है परन्तु यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इसके एजेंडे में बार-बार, अनावश्यक रूप से, द्विपक्षीय मुद्दों को लाने के प्रयास हो रहे हैं। यह एससीओ चार्टर और ‘शंघाई स्पिरिट’ का उल्लंघन करते हैं। इस तरह के प्रयास एससीओ को परिभाषित करने वाली सर्वसम्मति और सहयोग की भावना के विपरीत हैं।

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