कोलकाता: बंगाल कांग्रेस के प्रमुख और वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने राज्य में सत्ताधारी तृणमूल सरकार की मुखिया ममता बनर्जी को पागल करार दिया है। इतना ही नहीं सीएम ममता बनर्जी द्वारा कांग्रेस की साख पर सवाल उठाने से भड़के अधीर रंजन चौधरी ने ममता बनर्जी को भाजपा का एजेंट तक बता दिया।
चौधरी ने कहा कि कांग्रेस आज भी पूरे देश में फैली हुई है और उसके पास विपक्ष के कुल वोट शेयर का 20 फीसदी हिस्सा है, तृणमूल कांग्रेस के पास क्या है और वह राजनीति में कहां खड़ी है।
बीते शुक्रवार को बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पांच राज्यों में संपन्न विधानसभा चुनावों के परिणामों पर कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त पर चर्चा करते हुए कहा, "वह सभी राजनीतिक दल, जो भाजपा से लड़ना चाहती हैं। उन्हें एक साथ चलने की जरूरत है। कांग्रेस पर निर्भरता छोड़नी चाहिए क्योंकि वह अपनी विश्वसनीयता तेजी से खो रही है।"
ममता बनर्जी के इसी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस के प्रमुख नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "किसी पागल को जवाब देने का समय नहीं है। पूरे भारत में कांग्रेस के 700 विधायक हैं। दीदी के पास क्या है?"
उन्होंने आगे कहा, "कांग्रेस के पास विपक्ष के कुल वोट शेयर का 20 फीसदी है और उसके पास क्या है? वह भाजपा को खुश करने और उसके एजेंट के तौर पर काम करने के लिए ऐसा कह रही है। राजनीति में अपनी प्रासंगिक बनाए रखने के लिए वह इस तरह की बातें कहती रहती हैं।"
साल 1997 में कांग्रेस से अलग होकर तृणमूल कांग्रेस बनाने वाली और बंगाल में वाम सरकार को उखाड़ फेंकने वाली ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "अगर कांग्रेस का अस्तित्व नहीं होता तो वह राजनीतिक रूप से पैदा ही नहीं होतीं। उन्होंने तो इस विधानसभा चुनाव में गोवा में कांग्रेस को कमजोर करना का काम किया।"
चौधरी ने कहा कि वो कांग्रेस के खिलाफ टिप्पणी कर रही हैं। अगर कांग्रेस नहीं होती तो ममता बनर्जी जैसे लोग पैदा ही नहीं होते। उन्हें यह याद रखना चाहिए। भाजपा को खुश करने के लिए उन्होंने गोवा में कांग्रेस को हरा दिया। हर कोई जानता है कि उन्होंने गोवा में कांग्रेस को कमजोर करने का किया है"
बीते 10 मार्च को आये पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव परिणाम में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा है। इतना ही नहीं इस चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब में भी अपनी सत्ता खो दी है। इसके बाद से कांग्रेस और खासकर गांधी परिवार के नेतृत्व पर बड़े गंभीर सवाल खड़े हो गये हैं।