जब सरकार ही वोटर चुनने लगे, तो लोकतंत्र को दफन करने में और क्या बचा है?, तेजस्वी यादव ने कहा-खेल का रेफरी नहीं, खिलाड़ी है चुनाव आयोग
By एस पी सिन्हा | Updated: July 24, 2025 15:50 IST2025-07-24T15:48:40+5:302025-07-24T15:50:34+5:30
तेजस्वी यादव ने कहा कि जब सरकार ही वोटर चुनने लगे, तो लोकतंत्र को दफन करने में और क्या बचा है?

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पटनाः बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर गर्मायी सियासत के बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा है कि अगर अनियमितताएं नहीं रुकीं तो महागठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार कर सकता है। तेजस्वी यादव ने विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए वोट बहिष्कार की बात दोहराई। उन्होंने कहा कि जब चुनाव महज एक दिखावा हो, जब ईवीएम का खेला तय हो, तो फिर वोट क्यों डाले जाएं? तेजस्वी यादव ने कहा कि जब सरकार ही वोटर चुनने लगे, तो लोकतंत्र को दफन करने में और क्या बचा है?
उन्होंने सीधे चुनाव आयोग को खेल का रेफरी नहीं, बल्कि खिलाड़ी बताते हुए आरोप जड़ दिया कि एसआईआर के नाम पर मतदाताओं की सूची से जनता की आवाज हटाई जा रही है। तेजस्वी यादव ने इस साजिश को चंडीगढ़ मॉडल बताते हुए कहा कि भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर मतदाता संख्या का ‘सियासी कत्ल’ कर रहे हैं।
“पहले जनता सरकार चुनती थी, अब सरकार तय करती है कि कौन वोट देगा!” उन्होंने कहा कि विधानसभा में एसआईआर पर बहस की इजाज़त मिली थी, लेकिन जैसे ही उन्होंने मुद्दा उठाया, मुख्यमंत्री और उनके ‘उटपटांग मंत्रीगण’ बीच में बोल-बोलकर बहस को रोकते रहे। उन्होंने कहा कि “ये लोग नहीं चाहते कि सच्चाई सदन में गूंजे।”
तेजस्वी ने कहा कि अगर यही बेईमानी चलनी है तो चुनाव आयोग और सरकार को सीधा ‘एक्सटेंशन लेटर’ पकड़ाओ, चुनाव का ड्रामा बंद करो। सरकार पर हमला बोलते हुए उन्होंने कहा कि अब तो खुलकर नंगापन सामने आ गया है, तो अपने आकाओं को बना कर रखो, हम भी हर प्लेटफार्म पर टकराएंगे। तेजस्वी ने कहा कि जो कुछ भी मतदाता सूची को लेकर हो रहा है, उस पर हम खुलकर विचार कर रहे हैं।
हम अपने दल के नेताओं से चर्चा करेंगे और चुनाव बहिष्कार का विकल्प खुला रखा है। सरकार पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जब सभी को सेट देना है तो वैसे ही दे दीजिए। ऐसे में चुनाव का कोई मतलब नहीं रह जाएगा। तेजस्वी ने कहा कि वे और बिहार की जनता इस उम्मीद में थे कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद सदन में जवाब देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
सरकार के जवाब का सीधा मतलब है कि वह चुनाव आयोग की पूरी प्रक्रिया को सही मान रही है, जबकि हम लोग इसे फर्जीवाड़ा मानते हैं। एक जगह बैठकर लाखों फॉर्म भरे जा रहे हैं, एक-दूसरे के हस्ताक्षर किए जा रहे हैं, और कई वीडियो हमारे पास हैं, जिन्हें हमने जारी भी किया है। उन्होंने कहा कि सरकार सिर्फ संख्या पूरी करने के लिए इस फर्जीवाड़े को सही ठहरा रही है।
तेजस्वी ने कहा कि हम नहीं चाहते कि अवैध या बाहरी वोटर वोट डालें। सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग द्वारा दिए गए दस्तावेज में भी यह बात कही गई है कि कोई विदेशी शामिल नहीं है, फिर भी सरकार की भूमिका संदिग्ध है। उन्होंने कहा कि सम्राट चौधरी ने पलायन रोकने की बात कहकर अपनी ही सरकार पर सवाल खड़ा कर दिया है, जबकि लोकसभा में श्रम मंत्री खुद कह चुके हैं कि तीन करोड़ से अधिक लोग रोजगार के लिए बिहार से बाहर जाते हैं। सम्राट चौधरी सदन के भीतर झूठ बोल रहे हैं। तेजस्वी ने सवाल उठाया कि पत्रकार अजीत अंजुम पर प्राथमिकी क्यों दर्ज की गई?
उन्होंने यह भी पूछा कि अगर फरवरी में मतदाता सूची का पूर्ण निरीक्षण हो गया था, तो अब दोबारा इसकी क्या जरूरत पड़ी? सदन की कार्यवाही पर कटाक्ष करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि विधानसभा में कुछ मंत्री ऐसे हैं जो बंदर की तरह कूदते हैं, ताकि वो हाइलाइट में रहें। उनका काम सिर्फ चेहरा चमकाना रह गया है। वो बार-बार कूद रहे हैं, जबकि उनके पास ना तीन महीनों का अनुभव है और ना कोई ठोस बात।