कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को लेकर सरकार और किसानों से ‘अनौपचारिक’ तौर पर बात कर रहा हूं: मलिक

By भाषा | Published: March 18, 2021 08:53 PM2021-03-18T20:53:36+5:302021-03-18T20:53:36+5:30

Talking 'unofficially' to the government and farmers about the ongoing impasse on agricultural laws: Malik | कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को लेकर सरकार और किसानों से ‘अनौपचारिक’ तौर पर बात कर रहा हूं: मलिक

कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को लेकर सरकार और किसानों से ‘अनौपचारिक’ तौर पर बात कर रहा हूं: मलिक

नयी दिल्ली, 18 मार्च मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि वह विवादित कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का जल्द समाधान निकालने के लिये ''अनौपचारिक'' रूप से आंदोलनकारी किसानों और सरकार से बात कर रहे हैं तथा दोनों पक्षों के भीतर इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि जल्द से जल्द इस मसले का हल निकलना चाहिये।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत के रहने वाले मलिक ने जोर देकर कहा कि किसानों के मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाना चाहिये, वरना इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा।

उन्होंने इस बात पर भी खेद प्रकट किया कि 100 से अधिक दिन के आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की मौत पर ''किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा।''

मलिक ने कई दौर की वार्ता के बावजूद प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार में कोई विवेकहीन नही है और सिर्फ पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले जल्द समाधान निकालने का विरोध कर रहे हैं।

मलिक ने 'एनडीटीवी' से कहा, ''मेरा मानना है कि इस मसले का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाना चाहिये। मुझे उम्मीद है कि इसका जल्द कोई हल निकलेगा क्योंकि किसान समुदाय के भीतर और सरकार में भी मसले के जल्द समाधान को लेकर सहमति बनती दिख रही है ।''

उन्होंने कहा, ''मैं जल्द समाधान के लिये दोनों पक्षों से अनौपचारिक रूप से बात कर रहा हूं।’’

दिल्ली के गाजीपुर, सिंघू और टीकरी बॉर्डरों पर सैंकड़ों किसान नवंबर से डेरा जमाए हुए हैं। उनकी मांग है कि केन्द्र सरकार तीन विवादित कृषि कानूनों को वापस ले और एक ऐसा कानून बनाए जिसमें एमएसपी की गारंटी दी गई हो।

इस मुद्दे पर देश के कई हिस्सों में प्रदर्शन चल रहे हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि ये कानून किसानों के फायदे के लिये हैं।

मलिक ने कहा, ''सरकार में कोई विवेकहीन नही है। न तो प्रधानमंत्री और न ही अन्य लोग । केवल वही लोग समस्या के जल्द समाधान निकलने का विरोध कर रहे हैं जो पार्टी को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। मुझे उम्मीद है कि इस समस्या का जल्द समाधान निकलेगा, नहीं तो पार्टी को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में नुकसान उठाना पड़ेगा। ''

उन्होंने कहा, ''मीडिया मुझसे पूछ रही है कि मैं संवैधानिक पद पर होते हुए इन मुद्दों पर क्यों बोल रहा हूं। अगर एक कुत्ता मरता है तो हर तरफ शोक संदेश आने शुरू हो जाते हैं जबकि यहां 250 किसानों की मौत हो चुकी है लेकिन किसी ने एक शब्द नहीं कहा।''

उन्होंने कहा, ''इस मुद्दे पर न बोलकर हम विपक्ष को पूरा मौका दे रहे हैं और वे इस मसले पर बोलकर राजनीतिक लाभ उठा रहे हैं।''

मलिक ने कहा कि वह किसान समुदाय के बीच पैदा हुए और पले-बढ़े हैं। यही वजह है कि उन्हें इन हालात को लेकर दुख होता है।

उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि भाजपा के उनके साथी इस मु्द्दे पर बयानों को लेकर उनके बारे में क्या सोच रहे होंगे।

उन्होंने कहा, ''मैं इस समु्दाय में पैदा हुआ और पला-बढ़ा। यही वजह है कि आज किसानों की हालत देखकर मुझे दुख होता है। मुझे कोई डर नहीं है और जब भी मेरी पार्टी के नेताओं को लगे कि मैं उनके लिये मुश्किलें खड़ी कर रहा हूं तो मुझे बता दें। मैं फौरन इस्तीफा दे दूंगा और एक आम आदमी की हैसियत से भी उसी तरह आवाज उठाउंगा।''

उन्होंने कहा, ''अगर आप आंदोलन को बदनाम करेंगे तो मैं आपको बता दूं कि किसान समुदाय में इस बात को लेकर भारी नाराजगी और आक्रोश है। ''

इससे पहले रविवार को मलिक ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से किसानों को ''नाराज'' नहीं करने का आग्रह किया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Talking 'unofficially' to the government and farmers about the ongoing impasse on agricultural laws: Malik

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे