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तालिबान ने पहले के शासन में इस्लाम के “सबसे क्रूर संस्करण” को पेश कर दुनिया भर में मुसलमानों को बदनाम किया: आईएमएसडी

By भाषा | Updated: August 23, 2021 20:41 IST

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इंडियन मुस्लिम फॉर सेकुलर डेमोक्रेसी (आईएमएसडी) ने अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे पर ‘उत्साह’ दिखाने को ‘शर्मनाक’ बताते हुए सोमवार को कहा कि यह वही तालिबान है जिसने इस्लाम के “सबसे क्रूर संस्करण” को पेश किया और दुनियाभर में न सिर्फ मुसलमान बदनाम हुआ बल्कि इसका ‘खामियाज़ा” भी भुगतना पड़ा। अलग-अलग पेशे से जुड़े 138 बुद्धिजीवियों के हस्ताक्षर से जारी बयान में भारत सरकार से आग्रह किया गया है कि वह अफगानिस्तान के सभी धर्मों के लोगों के लिए अपने दरवाज़े खोले। बयान में कहा गया है “ हिंदुस्तानी मुसलमानों के एक वर्ग व (कुछ) धर्म गुरुओं की ओर से तालिबान को लेकर दिखाया जा रहा उत्साह बहुत ही शर्मनाक है। इस फेहरिस्त में ऑल इंडिया मुस्लिस पर्सनल लॉ बोर्ड के पदाधिकारी जैसे मौलाना उमरैन महफूज रहमानी व मौलाना सज्जाद नोमानी और जमात-ए-इस्लामी-हिंद के लोग भी शामिल हैं।’’ इस बयान हस्ताक्षर करने वालों में बॉलीवुड अभिनेत्री शबाना आज़मी, उनके गीतकार पति एवं पूर्व सांसद जावेद अख्तर, अभिनेता जावेद जाफरी, नसरूद्दीन शाह, डॉक्यूमेंट्री फिल्मकार आनंद पटवर्घन, सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीलवाड़, फिल्म निर्देशक जोया अख्तर, इलाहबाद उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति अमर सरण और पत्रकार असकरी ज़ैदी आदि प्रमुख हैं।आईएमएसडी ने कहा, “ यह जायज़ नहीं है कि हम तालिबान के सत्ता में वापस आने का जश्न मनाएं, क्योंकि यह वही लोग हैं जिनके इस्लाम के क्रूर संस्करण के चलते मुसलमानों की पूरे विश्व में न सिर्फ बदनामी हुई है बल्कि उन्हें उसका खामियाज़ा भी भुगतना पड़ा है।” आईएमएसडी ने कहा, “ हम वैश्विक समुदाय से आह्वान करते हैं कि तालिबान पर निर्णायक दबाव डालने के लिए ‘24x7 अफगानिस्तान वॉच’ शुरू करें ताकि तालिबान दुनिया को दिखाए कि वे इस बार सभी महिलाओं, पुरुषों एवं बच्चों की स्वतंत्रता और अधिकारों का सम्मान करेगा।” संगठन ने सभी लोकतांत्रिक देशों, खासकर अमेरिका से अपील की कि वह अपने देश से भागने को मजबूर अफगानिस्तान के लोगों के लिए अपनी सीमाएं खोले।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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