बच्चे की देखभाल बड़ी बात, पत्नी को काम करने पर बाध्य नहीं कर सकते, पति को ‘‘मौज मस्ती’’ करने की इजाजत नहींः कोर्ट

By भाषा | Updated: January 3, 2020 20:41 IST2020-01-03T20:41:05+5:302020-01-03T20:41:05+5:30

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय गोयल ने पत्नी से अलग रह रहे व्यक्ति को यह कड़ा संदेश दिया। न्यायाधीश ने इस तथ्य को संज्ञान में लिया कि पढ़ी लिखी होने के बावजूद महिला को अपने बेटे की देखभाल के लिए अच्छी नौकरी छोड़नी पड़ी क्योंकि बच्चा समय पूर्व पैदा हुआ और उसकी बहुत देखभाल करने की जरूरत थी।

Taking care of the child is a big deal, wife cannot be forced to work, husband is not allowed to have fun: Court | बच्चे की देखभाल बड़ी बात, पत्नी को काम करने पर बाध्य नहीं कर सकते, पति को ‘‘मौज मस्ती’’ करने की इजाजत नहींः कोर्ट

बच्चे के लिए अंतरिम गुजारा भत्ता 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 35 हजार रुपये प्रति माह किया जाता है।

Highlightsअदालत ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ महिला की अपील पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया। निचली अदालत ने बच्चे की खातिर पति से मिलने वाला 10 हजार रुपये का अंतरिम गुजारा भत्ता बढ़ाने से इनकार कर दिया था।

दिल्ली की एक अदालत ने एक मामले में बच्चे की खातिर गुजारा भत्ता 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 35 हजार रुपये करते हुए कहा कि जब किसी महिला को अपने बच्चे की देखभाल करनी हो तो तब उसे काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है और पति को ‘‘मौज मस्ती’’ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अजय गोयल ने पत्नी से अलग रह रहे व्यक्ति को यह कड़ा संदेश दिया। न्यायाधीश ने इस तथ्य को संज्ञान में लिया कि पढ़ी लिखी होने के बावजूद महिला को अपने बेटे की देखभाल के लिए अच्छी नौकरी छोड़नी पड़ी क्योंकि बच्चा समय पूर्व पैदा हुआ और उसकी बहुत देखभाल करने की जरूरत थी।

अदालत ने निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ महिला की अपील पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश जारी किया। निचली अदालत ने बच्चे की खातिर पति से मिलने वाला 10 हजार रुपये का अंतरिम गुजारा भत्ता बढ़ाने से इनकार कर दिया था। इसने कहा, ‘‘अपीलकर्ता (महिला) को जब अपने बच्चे की देखभाल करनी होती है, तो उसे काम करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता और पति को मौज मस्ती करने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

वैसे महिला अच्छी पढ़ी-लिखी है लेकिन उसे अपने बच्चे की देखभाल के लिए अपनी कमाई, इच्छाओं, जरूरतों के बीच समझौते करने पड़ते हैं। उसे 24 घंटे के लिए मशीन नहीं बनने दिया जा सकता है।’’ अदालत ने कहा, ‘‘बच्चे के लिए अंतरिम गुजारा भत्ता 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 35 हजार रुपये प्रति माह किया जाता है।

बकाया राशि का भुगतान बच्चे का पिता दो महीने में करेगा।’’ इसने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक में नौकरी करने वाले इस व्यक्ति को यह कहने की इजाजत नहीं दी जा सकती कि वह अधिक कमाने की स्थिति में नहीं है और उसकी ज्यादातर कमाई अपने ऊपर ही खर्च हो जाती है।

अदालत ने कहा, ‘‘इस दंपति का एक बच्चा है जो पति की भी जिम्मेदारी है। उसे बच्चे की देखभाल करनी चाहिए और अपने बच्चे की जिम्मेदारी वहन करनी चाहिए।’’ महिला के वकील ने अदालत से कहा कि उसके मुवक्किल को रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड की अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी क्योंकि बच्चे की चिकित्सकीय स्थिति के कारण नाइट ड्यूटी कर पाना उसके लिए संभव नहीं था। 

Web Title: Taking care of the child is a big deal, wife cannot be forced to work, husband is not allowed to have fun: Court

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