अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से इस्तीफा दे दिया है। कश्मीर में अलगाववादियों के प्रमुख साझा संगठन ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस का गठन 9 मार्च 1993 को हुआ था।
एक छोटे से ऑडियो मैसेज में गिलानी ने कहा, 'हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के मौजूदा हालात को देखते हुए मैंने हुरियत के सारे फॉर्म से अलग होने का फैसला किया है। फैसले के बारे में हुर्रियत के सारे लोगों को चिट्ठी लिखकर कर सूचना दे दी गई है।
गिलानी 1990 में आतंकवाद के उभरने के बाद से कश्मीर घाटी में अलगाववादी आंदोलन की अगुवाई कर रहे हैं। वह 2010 के आंदोलन के बाद से ज्यादातर समय नजरबंद रहे हैं। गिलानी तीन बार विधायक रहे हैं। वह 1972, 1977 और 1987 का चुनाव सुपोर निर्वाचन क्षेत्र से जीते थे।
इसी साल अप्रैल महीने में गिलानी के बेटे नईम गिलानी जम्मू कश्मीर में आतंकवादी संगठनों और अलगाववादी संगठनों को धन मुहैया कराने के मामले में पूछताछ के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी के सामने पेश हुए थे। इस मामले में सैयद अली शाह गिलानी से भी पूछताछ हुई थी।
गिलानी से पूछताछ के अलावा एनआईए ने इसी मामले में हुर्रियत कांफ्रेंस के नरमपंथी धड़े के अगुवा मीरवायज उमर फारूक से पूछताछ की थी। एनआईए जांच में यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण, सुरक्षाबलों पर पथराव, स्कूलों को जलाने और सरकारी प्रतिष्ठानों कों नुकसान पहुंचाने में किन लोगों का हाथ है।