विवादों में घिरे स्वामी प्रसाद मौर्य ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर उठाया जातिगत भेदभाव का मुद्दा, कही ऐसी बात

By शिवेंद्र राय | Updated: February 4, 2023 15:30 IST2023-02-04T15:29:10+5:302023-02-04T15:30:47+5:30

रामचरित मानस पर दिए गए गए बयान के बाद लगातार जारी विवाद के बाद भी स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयान से पीछे हटने से इनकार कर चुके हैं। अब मौर्य ने फेसबुक पर एक पोस्ट लिखकर जातिगत भेदभाव का मुद्दा उठाया है।

Swami Prasad Maurya raised the issue of caste discrimination by writing a post on Facebook | विवादों में घिरे स्वामी प्रसाद मौर्य ने फेसबुक पर पोस्ट लिखकर उठाया जातिगत भेदभाव का मुद्दा, कही ऐसी बात

सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य (फाइल फोटो)

Highlightsस्वामी प्रसाद मौर्य ने फेसबुक पर लिखी पोस्टजातिगत भेदभाव का मुद्दा उठाया कई बड़े नेताओं के साथ भेदभाव का जिक्र किया

लखनऊ: रामचरित मानस पर दिए गए गए बयान उस पर लगातार जारी विवाद के बीच  समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने एक बार फिर समाज में जातिगत भेदभाव का मुद्दा उठाया है। इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी है जिसमें उन्होंने  देश के तीन बड़े नेताओं के साथ हुई जातिय अपमान की  तीन कथित घटनाओं का जिक्र किया है।

अपने फेसबुक पोस्ट में स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा,  "कदम कदम पर जातीय अपमान की पीड़ा से व्यथित होकर ही डॉक्टर आंबेडकर ने कहा था , 'मैं हिंदू धर्म में पैदा हुआ, यह मेरे बस में नहीं था। किंतु मैं हिंदू होकर नहीं मरूंगा, ये मेरे बस में है।' फलस्वरूप सन 1956 में नागपुर दीक्षा भूमि पर 10 लाख लोगों के साथ बौद्ध धर्म स्वीकार किया। वह भी भारतीय संविधान लागू होने के बाद।"

स्वामी प्रसाद मौर्य ने आगे लिखा, "तत्कालीन उपप्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम द्वारा उद्घाटित संपूर्णानंद की मूर्ति का गंगा जल से धोना, तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव के रिक्तोपरांत मु्ख्यमंत्री आवास को गोमूत्र से धोया जाना और तत्कालीन राष्ट्रपति कोविंद जी को सीकर ब्रह्मामंदिर में प्रवेश न देना शूद्र होने का अपमान नहीं तो क्या है? ये सभी देश के बड़े नेताओं के साथ अपमान की घटनाएं घटित हुई तो गांव-गावं में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों के साथ क्या होता होगा?"

बता दें कि सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य इन दिनों सुर्खियों में हैं। रामचरितमानस की कुछ चौपाइयों पर कई जातियों और महिलाओं के अपमान का आरोप लगाते हुए मौर्य ने उन्हें हटाने की मांग की है। स्वामी प्रसाद मौर्य के इस बयान के बाद से ही उत्तर प्रदेश की सियासत गर्म है। लगातार राजनीतिक बयानबाजी हो रही है। कुछ हिंदू संगठनों ने मौर्य के खिलाफ प्रदर्शन भी किया और उनके खिलाफ पुलिस में एफआईआर भी दर्ज कराई।

विवाद के बाद भी स्वामी प्रसाद मौर्य अपने बयान से पीछे हटने से इनकार कर चुके हैं। दूसरी तरफ भाजपा का कहना है कि सपा हिंदू समाज को बांटकर अपनी सियासत करना चाहती है। इसलिए अखिलेश यादव की सहमति से स्वामी प्रसाद मौर्य ऐसे बयान दे रहे हैं।

Web Title: Swami Prasad Maurya raised the issue of caste discrimination by writing a post on Facebook

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