सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा में दर्ज सीबीआई के केस को असम ट्रांसफर किया, गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तय करेंगे ट्रायल जजों को
By भाषा | Published: August 25, 2023 02:24 PM2023-08-25T14:24:01+5:302023-08-25T14:26:00+5:30
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि मणिपुर हिंसा के जिन मामलों की जांच सीबीआई कर रही है, उनकी सुनवाई पड़ोसी राज्य असम में होगी।
नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि मणिपुर हिंसा के जिन मामलों की जांच सीबीआई कर रही है, उनकी सुनवाई पड़ोसी राज्य असम में होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि गुवाहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस इन मामलों के निपटारे के लिए ट्रायल जजों को नियुक्त करेंगे।
सर्वोच्च अदालत में मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने मणिपुर हिंस के विषय में एक साथ कई निर्देशों को पारित करते हुए आदेश दिया कि आरोपियों की पेशी, रिमांड, न्यायिक हिरासत और इससे संबंधित सारी न्यायिक प्रक्रियाएं गुवाहाटी के कोर्ट में ऑनलाइन आयोजित की जाएंगी।
पीठ ने सीबीआई मामलों से संबंधित केस में पीड़ितों, गवाहों और अन्य लोगों को इस बात की छूट दी है कि वो चाहें तो गुवाहाटी कोर्ट में शारीरिक रूप से भी उपस्थित हो सकते हैं या अगर वो चाहें तो ऑनलाइन उपस्थिति भी दर्ज करा सकते हैं। इसके लिए कोर्ट ने असम सरकार और मणिपुर सरकार को आदेश दिया है कि वो गुवाहाटी अदालत में ऑनलाइन माध्यम से सीबीआई मामलों की सुनवाई के लिए हर जरूरी सुविधा मुहैया कराये।
मणिपुर हिंसा में 10 से अधिक ऐसे मामले हैं, जिनकी जांच के लिए सीबीआई को नियुक्त किया गया है। उनमें उन दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न से संबंधित मामला भी शामिल है, जिनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।
इस आदेश से पूर्व शीर्ष अदालत ने 21 अगस्त को मणिपुर में जातीय हिंसा के पीड़ितों के राहत और पुनर्वास की निगरानी के लिए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट की पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल की अगुवाई में एक समिति की नियुक्त की थी।
इसके अलावा मणिपुर हिंसा के दौरान कई निवासियों के पहचान दस्तावेज खोने पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त पैनल ने शीर्ष अदालत से राज्य सरकार और यूआईडीएआई सहित अन्य को आधार कार्ड सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देश पारित करने का आग्रह किया है ताकि विस्थापितों और पीड़ितों की मिलने वाले मुआवजा योजना को व्यापक बनाया जा सके।
पूर्व चीफ जस्टिस गीता मित्तल के पैनल ने अपनी कार्यप्रणाली को सुविधाजनक बनाने के लिए पहचान दस्तावेजों के पुनर्निर्माण, मुआवजे, और इस विषय के विशेषज्ञों की नियुक्ति की आवश्यकता पर जोर डालते हुए सुप्रीम कोर्ट के सामने तीन रिपोर्ट प्रस्तुत की थीं।
मालूम हो कि बीते 3 मई को मणिपुर में पहली बार जातीय हिंसा भड़की थी। उसके बाद से अब तक हिंसा में करीब 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और कई सौ घायल हुए हैं।