सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया में कर्मचारियों की छंटनी और वेतन में कटौती के मामले में केन्द्र से मांगा जवाब

By भाषा | Published: April 27, 2020 03:32 PM2020-04-27T15:32:19+5:302020-04-27T15:32:19+5:30

याचिका में कहा गया था कि मीडिया जगत में अनेक अखबारों,पत्रिकाओं, ऑनलाइन मीडिया ने श्रम एवं रोजगार विभाग के स्पष्ट परामर्श के बावजूद कर्मचारियों और श्रमिकों की छंटनी करने, वेतन में कटौती करने की दिशा में कदम उठाए हैं।

Supreme Court seeks Centre’s response on PIL against media lay-offs, salary cuts | सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया में कर्मचारियों की छंटनी और वेतन में कटौती के मामले में केन्द्र से मांगा जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया में कर्मचारियों की छंटनी और वेतन में कटौती के मामले में केन्द्र से मांगा जवाब। (फाइल फोटो)

Highlightsसुप्रीम कोर्ट ने कुछ मीडिया संगठनों द्वारा पत्रकारों के साथ ‘अमानवीय और गैरकानूनी’ व्यवहार के आरोपों पर केन्द्र से जवाब मांगा।आरोप है कि कई संस्थानों ने लॉकडाउन के दौरान नौकरी से हटाने, वेतन में कटौती करने और बिना वेतन के छुट्टी पर जाने के नोटिस दिए हैं।

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने कोरोना वायरस महामारी के दौरान कुछ मीडिया संगठनों द्वारा पत्रकारों सहित कर्मचारियों के साथ ‘अमानवीय और गैरकानूनी’ व्यवहार किए जाने के आरोपों पर केन्द्र से सोमवार को जवाब मांगा। पत्रकारों के संगठनों का आरोप है कि इन मीडिया संस्थानों ने कोविड-19 की वजह से लॉकडाउन के दौरान कर्मचारियों को नौकरी से हटाने, वेतन में कटौती करने और उन्हें बिना वेतन के छुट्टी पर जाने के नोटिस दिए हैं।

न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने पत्रकारों के तीन संगठनों की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान केन्द्र, इंडियन न्यूजपेपर्स सोसायटी, द न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन को नोटिस जारी किए। पीठ ने इस मामले को दो सप्ताह बाद आगे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।

केन्द्र की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि इस समय सरकार को कोई नोटिस जारी नहीं किया जाये। इस पर पीठ ने कहा, ‘‘ये मामले ऐसे हैं जिन पर सुनवाई की आवश्यकता है और इसमें कुछ गंभीर मुद्दे उठाये गए हैं।’’

याचिकाकर्ता नेशनल एलांयस ऑफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स और बृहन्मुम्बई यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विस ने बहस की। उन्होंने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस का हवाला देते हुये पत्रकारों सहित कर्मचारियों को नौकरी से हटाया जा रहा है और एकतरफा निर्णय लेकर उनके वेतन में कटौती की जा रही है तथा उन्हें अनिश्चित काल के लिये बगैर वेतन के छुट्टी पर भेजा जा रहा है।

इस जनहित याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि समाचार पत्रों का प्रकाशन करने या डिजिटल मीडिया सहित मीडिया के क्षेत्र में काम करने तथा पत्रकारों और गैर पत्रकारों को नौकरी पर रखने वाले सभी व्यक्तियों को अपने कर्मचारियों को मौखिक या लिखित में दी गयी सभी नोटिस अगले आदेश तक तत्काल प्रभाव से निलंबित करने का निर्देश दिया जाये। यह याचिका समाचार पत्रों और मीडिया जगत में कार्यरत कर्मचारियों और श्रमिकों के प्रति नियोक्ताओं के ‘अमानवीय और गैरकानूनी रवैये’ को लेकर दायर की गयी है।

याचिका के अनुसार , ‘‘मीडिया जगत में अनेक अखबारों,पत्रिकाओं, ऑनलाइन मीडिया और मीडिया जगत में कार्यरत दूसरे नियोक्ताओं ने मार्च 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा के बाद श्रम एवं रोजगार विभाग के स्पष्ट परामर्श के बावजूद कर्मचारियों और श्रमिकों की छंटनी करने, वेतन में कटौती करने की दिशा में कदम उठाए हैं।’’

याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री तक ने कर्मचारियों की सेवायें समाप्त नहीं करने या उनके वेतन में कटौती नहीं करने की अपील की है। याचिका में लॉकडाउन के दौरान कुछ मीडिया घरानों द्वारा अपने कर्मचारियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई की जानकारी भी दी गयी है।

Web Title: Supreme Court seeks Centre’s response on PIL against media lay-offs, salary cuts

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