बिहार सरकार के आरक्षण बढ़ाने के फैसले को झटका! SC का पटना हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक से इनकार

By आकाश चौरसिया | Updated: July 29, 2024 12:41 IST2024-07-29T12:08:48+5:302024-07-29T12:41:18+5:30

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार हाईकोर्ट के आदेश को रोकने से इनकार कर दिया, जिसमें उसने बिहार सरकार के सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में आरक्षण बढ़ाने को लेकर अधिसूचना जारी की थी।

supreme court refuses to stay Patna High Court decision on reservation given by Bihar government | बिहार सरकार के आरक्षण बढ़ाने के फैसले को झटका! SC का पटना हाईकोर्ट के निर्णय पर रोक से इनकार

फाइल फोटो

Highlightsसुप्रीम कोर्ट का पटना हाईकोर्ट के फैसले पर रोक से इनकारअसल में बिहार सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में आरक्षण बढ़ाने जा रही थीफिलहाल अब इस मामले में अगली सुनवाई सितंबर में होने जा रही है

नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसपर उच्च न्यायालय ने बिहार में सरकारी नौकरी और कॉलेज में एडमिशन के लिए 65 फीसदी आरक्षण की बात सरकार की ओर से की जा रही थी। इसके साथ ही बिहार सरकार की अपीलों पर भी नोटिस जारी कर दिया और सितंबर में मामले पर सुनवाई करने के लिए अपनी सहमति जताई है। 

पिछले महीने, पटना उच्च न्यायालय ने राज्य में सरकारी नौकरियों और उच्च शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्गों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 50% से बढ़ाकर 65% करने की बिहार सरकार की अधिसूचना को रद्द कर दिया था।

अदालत ने आरक्षण वृद्धि की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर फैसला सुनाया, याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि राज्य की बढ़ोतरी उसके विधायी अधिकार से कई अधिक थी। गौरतलब है कि नवंबर 2023में बिहार सरकार ने दो आरक्षण विधेयकों के लिए एक गजट अधिसूचना जारी की, जिसमें जिसमें बिहार राज्य में निकलने वाली सभी नौकरियों में एससी, एसटी, ईबीसी और ओबीसी को आरक्षण देने, इनके अलावा बिहार में उच्च शिक्षण संस्थानों में भी आरक्षण बिल को संशोधन 2023 की बात थी।

बिहार सरकार के इस बिल में आरक्षण कोटा में 50 से सीधे 60 प्रतिशत बढ़ाने की बात थी। इसके बाद यह आरक्षण कुल 75 फीसदी पर पहुंच जाता, जिसमें 10 प्रतिशत ईडबल्यूएस को मिलने की बात भी शामिल थी। 

राज्य के जाति सर्वेक्षण के परिणामों के बाद, सरकार ने अनुसूचित जाति (एससी) के लिए कोटा बढ़ाकर 20 फीसदी, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए 2 फीसद, अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) के लिए 25 प्रतिशत और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 18 फीसद कोटा बढ़ा दिया। 

मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
हालांकि, एससी में दाखिल याचिकाओं में तर्क दिया गया कि आरक्षण में बढ़ोतरी विधायी शक्तियों से अधिक है। याचिकाकर्ताओं ने कहा, "कोटा बढ़ोतरी भी भेदभावपूर्ण प्रकृति थी और अनुच्छेद 14,15 और 16 द्वारा नागरिकों को दी गई समानता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।"

Web Title: supreme court refuses to stay Patna High Court decision on reservation given by Bihar government

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