ताजमहल में नमाज पढ़ने की अपील को SC ने किया खारिज, बताई ये वजह
By स्वाति सिंह | Published: July 9, 2018 12:43 PM2018-07-09T12:43:20+5:302018-07-09T13:04:19+5:30
सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ताज महल दुनिया के सात अजूबों में से एक है, इसलिए यहां नमाज पेश नहीं किया जाएगा।
नई दिल्ली, 9 जुलाई: ताजमहल में नमाज पढ़ने की अपील को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज किया है। सोमवार को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ताज महल दुनिया के सात अजूबों में से एक है, इसलिए यहां नमाज पेश नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने आगे कहा यहां ऐसे कई अन्य स्थान हैं जहां नमाज पढ़ने में कोई मनाही नहीं है।
Supreme Court refuses to allow offering of Namaz at Taj Mahal. The Court says the historic Taj Mahal is one of the seven wonders of the world, so it should be kept in mind that no Namaz will be offered there. There are other places where one can do that. pic.twitter.com/vYQ3xHNiwy
— ANI (@ANI) July 9, 2018
गौरतलब है कि आगरा के स्थानीय नमाजियों ने पहले आगरा प्रशासन में अपने साथ-साथ बाहरी लोगों को भी नमाज़ पढ़ने की इजाजत मांगी थी। तब प्रशासन ने भी इससे इनकार किया था। इसके बाद याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। लेकिन कोर्ट ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया।
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इससे पहले उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मंगलवार (17 अप्रैल) को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ताजमहल का मालिक अल्लाह है इसलिए वो उस पर मालिकाना हक जता सकता है। 10 अप्रैल को हुई मामले की पिछली सुनवाई में सुन्नी वक्फ बोर्ड से ताजमहल के मालिकाना हक से जुड़े दस्तावेज माँगा था। लेकिन मंगलवार को वक्फ बोर्ड ने कहा कि उसके पास ऐसा कोई दस्तावेज नहीं है।
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वक्फ बोर्ड ने सर्वोच्च अदालत में कहा कि क्योंकि ताजमहल में उन्हें फातिहा पढने एवं अन्य मजहबी रवायतें निभाने का अधिकार है इसलिए वो उस पर मालिकाना हक जता सकता है। हालाँकि वक्फ बोर्ड ने ये भी कहा कि मालिकाना हक के बिना भी वो ताजमहल से जुड़ी महजबी रवायतें निभा सकता है। मामले की अगली सुनवाई 27 जुलाई को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 अप्रैल को उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड से मुगल बादशाह शाहजहाँ के हस्ताक्षर वाले दस्तावेज माँगे थे ताकि ताजमहल पर बोर्ड की मिल्कियत का फैसला किया जा सके। सर्वोच्च अदालत ने वक्फ बोर्ड को दस्तावेज जमा करने के लिए एक हफ्ते का समय दिया था। द आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) ने साल 2010 में वक्फ बोर्ड के जुलाई 2005 के फैसले के खिलाफ अपील की थी जिसमें वक्फ ने ताजमहल को अपनी जायदाद बताया था। अदालत ने वक्फ बोर्ड के फैसले पर रोक लगा दी थी।
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