नई दिल्लीः केंद्र सरकार को राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा को 15 सितंबर तक पद पर बने रहने की अनुमति दी है। कोर्ट ने कहा कि ईडी के निदेशक के कार्यकाल के विस्तार के लिए किसी भी अन्य आवेदन पर विचार नहीं किया जाएगा।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि क्या पूरा विभाग अयोग्य लोगों से भरा है। क्या हम यह तस्वीर नहीं दे रहे हैं कि कोई दूसरा व्यक्ति नहीं है और पूरा विभाग अक्षम लोगों से भरा है? न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा।
केंद्र ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की समीक्षा को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय के नेतृत्व में निरंतरता आवश्यक है। कुछ पड़ोसी देशों की मंशा है कि भारत एफएटीएफ की 'संदिग्ध सूची' में आ जाए और इसलिए ईडी प्रमुख पद पर निरंतरता जरूरी है। न्यायालय ने कहा कि वह व्यापक सार्वजनिक और राष्ट्रीय हित में ईडी निदेशक का कार्यकाल बढ़ा रहा है।
अदालत ने केंद्र को यह भी स्पष्ट कर दिया कि 15 सितंबर, 2023 के बाद ईडी प्रमुख के रूप में मिश्रा के कार्यकाल में कोई और विस्तार नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय के निदेशक संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल 15 सितंबर तक बढ़ाने की अनुमति दे दी।
केंद्र ने बुधवार को शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर मिश्रा को 15 अक्टूबर तक पद पर बनाए रखने की मांग की और कहा कि एफएटीएफ की चल रही समीक्षा के दौरान उनकी अनुपस्थिति भारत के राष्ट्रीय हितों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
केंद्र ने इस बात पर भी जोर दिया कि 63 वर्षीय मिश्रा वर्ष 2020 की शुरुआत से ही दस्तावेजों की तैयारी और आपसी मूल्यांकन के लिए अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने में लगे हुए हैं और तदनुसार, इस "महत्वपूर्ण चरण" में इस कठिन और नाजुक प्रक्रिया में उनका जारी रहना आवश्यक है।