सुप्रीम कोर्ट से 200 रियल एस्टेट कंपनियां को बड़ा झटका, IBC संशोधनों को बरकरार रखने का आदेश
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: August 9, 2019 12:02 PM2019-08-09T12:02:52+5:302019-08-09T12:02:52+5:30
इस मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि रेरा कानून को आईबीसी में संशोधन के साथ सामंजस्य में पढ़ा जाए। विवाद की स्थिति में आईबीसी मान्य होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने घर खरीदारों को शुक्रवार को बड़ी राहत देते हुए इनसॉल्वेंसी एंड बैकरप्सी कोड (IBC) में संशोधन को सही ठहराया है। इस संशोधन के तहत घर खरीदारों को फाइनेंशियल क्रेडिटर्स (वित्तीय ऋणदाता ) का दर्जा दिया गया है। इसी संशोधन के खिलाफ रियल एस्टेट की करीब 200 कंपनियां सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इन कंपनियों ने अपनी याचिका में कहा था कि IBC में संशोधन गैरकानूनी और असंवैधानिक है और इससे रियल एस्टेट सेक्टर को नुकसान होगा।
जस्टिस आर.एफ नरीमन की अगुवाई वाली पीठ ने इन कंपनियों की याचिका को खारिज करते हुए हालांकि कहा कि IBC का दुरुपयोग उनके द्वारा नहीं किया जाना चाहिए जो असल घर खरीदार नहीं हैं। साथ ही कोर्ट ने निर्देश दिये कि घर खरीदारों की शिकायत पर शुरुआती जांच में कुछ ठोस सबूत मिलने के बाद ही ट्रिब्यूनल को उनकी याचिका को गंभीरता से लेना चाहिए।
Supreme Court order upholds the financial creditor's tag to home buyers. SC said that Real Estate (Regulation and Development) Act has to be read harmoniously with Consumer Protection Act & Insolvency and Bankruptcy Code.
— ANI (@ANI) August 9, 2019
IBC will prevail in case of any conflict. pic.twitter.com/DPSkxabZ80
जस्टिस नरीमन की पीठ ने साथ ही कहा, 'रेरा कानून को आईबीसी में संशोधन के साथ सामंजस्य में पढ़ा जाए। विवाद की स्थिति में आईबीसी मान्य होगा।' पीठ ने कहा कि केवल वास्तविक घर खरीदार ही बिल्डर के खिलाफ दिवाला कार्यवाही का अनुरोध कर सकते हैं। पीठ ने केंद्र से कहा कि वह सुधारात्मक कदम उठाते हुए शपथपत्र दायर करे। बिल्डरों ने याचिका दायर करके तर्क दिया था कि घर खरीदारों की दिक्कतों के समाधान रेरा कानून के तहत उपलब्ध हैं। ऐसे में आईबीसी में संशोधन इसका केवल दोहराव हैं।
(भाषा इनपुट के साथ)