मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'महिलाओं के खिलाफ हिंसा अभूतपूर्व, अन्य राज्यों के मामलों पर विचार नहीं'

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: July 31, 2023 08:10 PM2023-07-31T20:10:44+5:302023-07-31T20:12:08+5:30

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ होने वाली अपराधिक घटनाओं की तुलना देश के अन्य हिस्सों में इसी तरह की घटनाओं से नहीं की जा सकती।

Supreme Court on Manipur case 'Violence against women unprecedented not considering cases of other states | मणिपुर मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 'महिलाओं के खिलाफ हिंसा अभूतपूर्व, अन्य राज्यों के मामलों पर विचार नहीं'

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Highlightsउच्चतम न्यायालय ने मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा को ‘अभूतपूर्व’ करार दियाअन्य राज्यों में इसी तरह की कथित घटनाओं को लेकर दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कियाप्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘मणिपुर में सांप्रदायिक और जातीय हिंसा की स्थिति है

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ हुई हिंसा को ‘अभूतपूर्व’ करार दिया और पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल जैसे विपक्षी दलों द्वारा शासित राज्यों में इसी तरह की कथित घटनाओं को लेकर दायर याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।

मणिपुर में जातीय हिंसा से संबंधित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करने वाली शीर्ष अदालत को अधिवक्ता बांसुरी स्वराज ने बताया कि पश्चिम बंगाल में महिलाओं के खिलाफ हिंसा की घटनाओं पर भी विचार करने की जरूरत है और जो तंत्र विकसित करने की मांग की गई है उसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जाना चाहिए। बांसुरी ने कहा, ‘भारत की बेटियों को सुरक्षित रखने की जरूरत है। मई में मणिपुर में दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की भयावह घटना सामने आने के बाद बंगाल एवं छत्तीसगढ़ में भी ऐसी ही घटनाएं हुईं।’

अधिवक्ता ने कहा, ‘एक वीडियो सामने आया जिसमें भीड़ ने एक पंचायत चुनाव उम्मीदवार को निर्वस्त्र कर दिया और उसे हावड़ा जिले (पश्चिम बंगाल में) के एक गांव में घुमाया। पंचायत चुनाव में हुई हिंसा के दौरान एक अन्य उम्मीदवार को भी निर्वस्त्र कर घुमाया गया। कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई ।’ उन्होंने कहा, ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध पूरे देश में होते हैं। यह हमारी सामाजिक वास्तविकता का हिस्सा है। वर्तमान में, हम एक ऐसी स्थिति से निपट रहे हैं जो अभूतपूर्व है और मुख्य रूप से महिलाओं के खिलाफ अपराध एवं हिंसा से संबंधित है।’ 

जवाब में प्रधान न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘मणिपुर में सांप्रदायिक और जातीय हिंसा की स्थिति है। इसलिए हम जो कह रहे हैं वह यह है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि पश्चिम बंगाल में भी महिलाओं के खिलाफ अपराध हो रहे हैं।’ पीठ ने कहा कि वर्तमान में, वह मणिपुर से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस पीठ में प्रधान न्यायाधीश के अलावा न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं । इसने कहा कि मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ होने वाली अपराधिक घटनाओं की तुलना देश के अन्य हिस्सों में इसी तरह की घटनाओं से नहीं की जा सकती। 

प्ररधान न्यायाधीश (सीजेआई) ने कहा, ‘यदि आपके पास वास्तव में उस (मणिपुर) पर हमारी सहायता करने के लिए कुछ है, तो कृपया हमारी सहायता करें।’ अधिवक्ता ने कहा कि उन्होंने मामले में हस्तक्षेप आवेदन दायर किया है और पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा केरल में महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं का जिक्र किया है। सीजेआई ने कहा, ‘हम इस पर आपको बाद में सुनेंगे हम अभी मणिपुर से निपट रहे हैं।’

स्वराज ने कहा कि अदालत जो भी तंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव कर रही है उसे अन्य राज्यों पर भी लागू किया जाना चाहिए और उपचारात्मक कदम केवल मणिपुर तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल के मामले में, यह उतना ही गंभीर है क्योंकि महिलाओं के खिलाफ हिंसा का इस्तेमाल अंततः मतदाताओं को दंडित करने के लिए किया जाता है। इंदिरा जयसिंह का कहना है कि मणिपुर में 5,995 प्राथमिकी दर्ज हैं और पश्चिम बंगाल में 9,304 प्राथमिकी दर्ज की गई है । केवल 3 प्रतिशत (अभियुक्तों में से) जेल में हैं और 97 प्रतिशत अपराधी खुले में घूम रहे हैं ।’

उन्होंने कहा कि मणिपुर के मामले में नागरिक संस्थाओं की अंतरात्मा अचानक जाग गई है। बांसुरी ने कहा, ‘मणिपुर में जो हुआ उसे माफ नहीं किया जा सकता। लेकिन मणिपुर में हुई (दो महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने की) घटना के बाद पश्चिम बंगाल, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और केरल में दिल दहलाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। कृपया केवल मणिपुर के लिए ही तंत्र स्थापित न करें।’ 

 

(इनपुट- भाषा)

Web Title: Supreme Court on Manipur case 'Violence against women unprecedented not considering cases of other states

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