जानिए कौन हैं सुप्रीम कोर्ट को कठघरे में खड़े करने वाले जस्टिस चेलमेश्वर
By पल्लवी कुमारी | Updated: January 12, 2018 14:16 IST2018-01-12T13:53:06+5:302018-01-12T14:16:06+5:30
जस्टिस चेलमेश्वर का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 23 जून 1953 में हुआ था।

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शुक्रवार (12 जनवरी) को देश के सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठ जजों जे चेलमेश्वर, रंजन गोगोई, मदन लोकुर और कुरियन जोसफ ने सुप्रीम कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट कोलेजियम पर सवाल उठाया। इन जजों की तरफ से जस्टिस चेलमेश्वर ने मीडिया को संबोधित किया। देश के इतिहास में ये अपनी तरह का पहला मामला है जब सुप्रीम कोर्ट के चार जज इस तरह मीडिया के सामने आए हैं। खबर आ रही है कि देश के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा भी शुक्रवार दो बजे मीडिया को संबोधित करने वाले हैं। चार जजों के मीडिया के सामने आने के बाद ही सोशल मीडिया पर जस्टिस चेलमेश्वर का नाम ट्रेंड करने लगा। आइए हम आपको बताते हैं कि कौन हैं जस्टिस चेलमेश्वर।
जस्टिस चेलमेश्वर इससे पहले साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम सिस्टम का विरोध करने को लेकर चर्चा में आए थे। 16 अक्टूबर, 2015 को सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संविधान पीठ ने 4-1 के बहुमत से हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर में भारत सरकार की भूमिका को असंवैधानिक करार दिया था। इस फैसले से जो एक जज असहमत था वो थे जस्टिस चेलमेश्वर। जस्टिस चेलमेश्वर नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा प्रस्तावित छह सदस्यीय राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के निर्माण के पक्ष में थे। इस समिति के छह सदस्यों में से तीन का गैर न्यायिक होना जरूरी था। इस कानून को संसद में भी पास कर दिया गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस असंवैधानिक करार दिया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में अपने 1030 पन्ने वाले फैसले में दो दशक पुराने कोलेजियम सिस्टम में सुधार पर विचार करने की भी बात कही थी।
जस्टिस चेलमेश्वर का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में 23 जून 1953 में हुआ था। भौतिकी विज्ञान में स्नातक करने के बाद उन्होंने 1976 में आंध्र युनिवर्सिटी से कानून की डिग्री हासिल की। 10 अक्टूबर 2011 में वह सुप्रीम कोर्ट के जज बनने के पहले में केरल और गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके थे। केरल हाईकोर्ट में वो 17 मार्च 2010 से 9 अक्टूबर 2011 तक जज रहे। वो 2 मई 2007 से 17 मार्च 2010 तक गुवाहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे।
जस्टिस चेलमेश्वर और रोहिंगटन फली नरीमन की 2 सदस्यीय बेंच ने उस विवादित कानून को खारिज किया जिसमें पुलिस के पास किसी के खिलाफ आपत्तिजनक मेल करने या इलेक्ट्रॉनिक मैसेज करने के आरोप में गिरफ्तार करने का अधिकार था। जस्टिस चेलमेश्वर के इस फैसले की पूरे देश में तारीफ हुई थी।
जस्टिस चेलमेश्वर एवं अन्य जजों ने मीडिया से कहा-
- सुप्रीम कोर्ट का प्राशासनिक कार्य ठीक से नहीं हो रहा है और पिछले कुछ महीनो से सर्वोच्च अदालत में बहुत कुछ ऐसा हुआ है जो नहीं होना चाहिए था।
- हमें लगा कि सुप्रीम कोर्ट के जज होने के नाते हमारी देश के प्रति जवाबदेही है और हमने CJI को मनाने की कोशिश की, लेकिन हमारे कोशिश नाकाम रहे।
- अगर संस्थान (सुप्रीम कोर्ट) को नहीं बचाया गया तो लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। जो भारत के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं है।
- हमने ये प्रेस कॉन्फ्रेंस इसलिए की ताकि 20 साल बाद कोई अक्लमंद ये न कहे कि हम चारों ने अपनी आत्माएं बेच दी थीं।